Friday, January 21, 2011

विधायकों की बॉय-बॉय


सूबे में सत्तासीन भाजपा के एक-तिहाई विधायक आपने मौजूदा विधानसभा क्षेत्र को बॉय-बॉय करने की फिराक में हैं। दिलचस्प बात यह है कि इनमें मंत्रिमंडल के आधा दर्जन सदस्य भी शामिल हैं। ऐसा करना इनकी मजबूरी बन गया है क्योंकि परिसीमन के बाद उभरी विधानसभा सीटों की नई तस्वीर में ये फिट नहीं बैठ रहे हैं। किसी की सीट रिजर्व हो गई है तो किसी का विधानसभा क्षेत्र ही गायब हो गया है।
राज्य विधानसभा के वर्ष 2012 में होने वाले चुनाव नए परिसीमन के आधार पर विभाजित विधानसभा सीटों पर होंगे। एक इसी कारण ने सियासी दलों में भारी संकट में डाल दिया है। अगर सत्तारूढ़ भाजपा को ही देखा जाए तो पार्टी के मौजूदा विधानसभा के एक-तिहाई विधायकों को दरबदर होना पड़ रहा है। कारण, इनकी विधानसभा सीटें समाप्त हो गई हैं या रिजर्व हो गई हैं। ऐसा भी हुआ है कि रिजर्व सीट अब सामान्य श्रेणी में आ गई है तो विधायक जी को नया आशियाना ढूंढना पड़ रहा है। मजेदार बात यह है कि इस सूची में मुख्यमंत्री व पूर्व मुख्यमंत्री के अलावा विधानसभा अध्यक्ष तक शामिल नजर आ रहे हैं।
देहरादून में सहसपुर सुरक्षित सीट के विधायक राजकुमार का रुख अब उत्तरकाशी की पुरोला सीट की ओर है तो डोईवाला विधायक व कैबिनेट मंत्री त्रिवेंद्र रावत रायपुर की ओर मुड़ते दिखाई दे रहे हैं। राजपुर सीट रिजर्व हुई तो मौजूदा विधायक गणेश जोशी मसूरी की सैर की तैयारी कर रहे हैं। टिहरी की धनोल्टी सीट सामान्य बन रही है तो यहां के विधायक व कैबिनेट मंत्री खजानदास की च्वाइस अब देहरादून की राजपुर सीट हो सकती है। चमोली जिले में नंदप्रयाग सीट खत्म हुई तो कैबिनेट मंत्री राजेंद्र भंडारी अब बदरीनाथ की शरण में जा सकते हैं।
ऊधमसिंह नगर जिले में बाजपुर के विधायक अरविंद पांडे के गदरपुर पहुंचने की संभावना है जबकि खड़क सिंह बोरा नैनीताल की जगह लालकुंआ जंप करने की कवायद में व्यस्त हैं। नैनीताल जिले में धारी के विधायक व कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह का नया ठौर भीमताल बन सकता है तो कैबिनेट में उनके सहयोगी बंशीधर भगत हल्द्वानी से कालाढूंगी की रवानगी के लिए तैयार हैं। यही नहीं, मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक की परंपरागत थलीसैंण सीट का वजूद समाप्त हुआ तो उनके श्रीनगर गढ़वाल से विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना है जबकि पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी धुमाकोट सीट न रहने से लैंसडौन से चुनावी जंग में दो-दो हाथ कर सकते हैं। स्पीकर हरबंस कपूर की देहराखास सीट नई विधानसभा में नहीं होगी तो उन्होंने कमर कस ली है देहरादून कैंट सीट से जोर आजमाने के लिए।

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