Wednesday, October 31, 2012

मुख्यमंत्री की जल्दबाजी ने उठाए सवाल

देहरादून,  नारायण दत्त तिवारी सरकार के दौरान प्रदेश में स्थापित औद्योगिक क्षेत्रों में लगे उद्योगों को राज्य सरकार प्रदेश में नहीं रोक पाई, ऐसे में मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा द्वारा सितारगंज फेज-2 नाम पर बनाए जा रहे औद्योगिक क्षेत्र को लेकर सरकार पर ही सवाल उठने शुरू हो गए हैं। सरकार पर जहां विपक्ष करारे प्रहार कर रहा है, वहीं बहुगुणा सरकार पर केंद्रीय मंत्री हरीश रावत ने भी सवाल खड़े कर प्रदेश में किए जा रहे औद्योगिकीकरण पर भी सवालिया निशान लगा दिए हैं। इतना ही नहीं राज्य में स्थापित उद्योगों के उद्योगपति भी इस पर मुखर हो गए हैं। उनका कहना है कि अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा राज्य में स्थापित होने वाले उद्योगों को विशेष औद्योगिक पैकेज की तयशुदा सीमा जब कांग्रेस सरकार नहीं बढ़ा पाई तो ऐसे में कौन उद्योगपति यहां उद्योग लगाएगा, यह उनके समझ से परे है। उद्योगपतियों का कहना है कि राज्य में औद्योगिक वातावरण बिलकुल नहीं है, सिंगल विंडो व्यवस्था के तहत उद्योगपतियों को राज्य में सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। अरबों रूपयों उद्योग लगाने में खर्च करने वालों को अनापत्ति प्रमाण पत्र सहित बिजली के संयोजन के लिए अपने जूते घिसने पड रहे हैं, तो ऐसे वातावरण में कौन उद्योगपति राज्य में उद्योग लगाने के लिए आएगा यह उनकी समझ से परे है।
बीते दिन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा द्वारा 45 करोड़ की योजनाओं की नींव सिडकुल फेज-2 के नाम पर सितारगंज में रखी गई। सरकार का दावा है कि यहां 1300 एकड़ भूमि पर उद्योगों को बसाया जाएगा और सिडकुल यहां उद्योगों की स्थापना व अवस्थापना सुविधाएं जुटाने पर 300 करोड़ रूपये खर्च करेगा। सरकार ने उम्मीद जताई है कि इससे 5000 करोड़ रूपया का पूंजीनिवेश होगा और 1000 करोड़ की कमाई सिडकुल की होगी।
सरकार की उम्मीदों के महल पर बन रहे सिडकुल फेज-2 को लेकर सवालिया निशान खड़े होने शुरू हो गए हैं। जहां केंद्रीय राज्य मंत्री हरीश रावत ने सरकार को राज्य में स्थापित औद्योगिक क्षेत्रों को संभालने की बात कही, वहीं राज्य के उद्योगपति भी इससे नाराज हैं।
राज्य में कृषि क्षेत्र की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि राज्य में जहां 65 फीसदी भू-भाग वनाच्छादित है, वहीं मात्र चार से पांच फीसदी भू-भाग ही खेती के लिए बचा हुआ है, ऐसे में जब राज्य के खेती वाली भूमि पर औद्योगिक क्षेत्र बसा दिए जाएंगे तो ऐसे में राज्य में कृषि भूमि खेती के लिए रहेगी ही नहीं। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि राज्य मंे बंजर भूमि अथवा खेती के लिए अनउपयुक्त भूमि पर ही औद्योगिकीकरण किया जाना चाहिए इससे जहां प्रदेश की खेती भी बचेगी, वहीं बेकार भूमि का उपयोग औद्योगिकीकरण के लिए उपयोग में लाया जा सकेगा।
इधर भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट सहित तमाम नेताओं ने प्रदेश के मुख्यमंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा कि आखिर उन्हें राज्य में किसानों को उजाड़कर औद्योगिकीकरण करने की इतनी जल्दी क्यों है? उन्होंने कहा कि राज्य में स्थापित उद्योगों को सबसे पहले सुविधाएं दी जानी चाहिए, जब ये उद्योग पूरी तरह स्थापित हो जाएं तब अन्य उद्योग परिक्षेत्र के बारे में सोचा जाना चाहिए।

Saturday, September 29, 2012

ईमानदार डीजीपी सत्यव्रत भ्रश्टाचारियो पर चलाएंगे हन्टर।

देहरादून। नारायण परगांई।
उत्तराखण्ड पुलिस के डीजीपी विजय राघव पंत महकमे को ठीक ढंग से चला पाने में नाकामयाब साबित हुए पुलिस महकमे के अंदर आलाअधिकारी अनुषासनहीनता के पैमाने को बड़ाते हुए जहां नजर आए वहीं प्रदेष की कानून व्यवस्था भी बेहद लचर रही लेकिन प्रदेष के नए डीजीपी बने सत्यव्रत बंसल आगामी 30 सितम्बर को उत्तराखरण्ड डीजीपी के पद पर विराजमान होंगे और इसी दिन विजय राघव पंत डीजीपी की कुर्सी से सेवा निवृत हो जाएंगे। सत्यव्रत वर्तमान मे सतर्कता विभाग के महानिदेषक के पद पर कार्यरत थे और उन्हें प्रदेष के इमानदार आइपीएस अधिकारियो में गिना जाता है। 1976 बैच के सत्यव्रत इससे पूर्व भी डीजीपी की दौड़ में षामिल थे लेकिन उन्हें नजरअंदाज कर विजय राघव पंत को डीजीपी की कुर्सी पर विराजमान कर दिया था। 6 महीने के कार्यकाल में पंत महकमे में कोई खास काम नही कर सके और कई ऐसे फैसले विभाग में सामने आए जिन्होने पुलिस महकमे को षर्मसार किए रखा। विभाग के अंदर गुटबाजी इस कदर हावी रही कि आइपीएस लाॅबी कई गुटो में बंटी हुई नजर आई। जिलो में पोस्टिंग को लेकर जिस तरह से एक दूसरे के खिलाफ तानाबाना बुना गया इसकी गूंज दिल्ली के साथ साथ राजनीति के गलियारो में भी साफ सुनाई देती हुई नजर आई। सत्यवंत बंसल के डीजीपी बनने के बाद महकमे में भ्रश्टाचार की बेलो को आगे बड़ा रहे महकमे के ही पुलिस अधिकारी सक्ते में आ गए हैं और माना जा रहा ळैं कि डीजीपी की कुर्सी पर बैठने के बाद सत्यव्रत सबसे पहले विभाग में पनप रहे भ्रश्टाचार की बेल को समाप्त करेंगे। इमानदार आइपीएस होने के साथ सत्यव्रत बंसल की पारिवारिक पृश्ठ भूमि आरएसएस परिवार से रही है और उनके पिताजी आरएसएस के नेता होने के साथ राजनीति में भी दखल रखते हैं। 6 महीने पहले जब डीजीपी की कुर्सी को लेकर प्रदेष में घमासान चल रहा था तब सत्यव्रत का नाम सबसे आगे आ रहा था लेकिन भाजपा के ही कुछ नेताओ ने उन्हें दरकिनार कर विजय राघव पंत को प्रदेष का नसा डीजपी बनवा दिया था और उसके बाद से सत्यव्रत सतर्कता विभाग के महानिदेषक के पद पर कार्यरत थे। उनके डीजीपी बन जाने से पुलिस महकमे के इमानदार अधिकारियो मे खुषी की लहर देखती हुई मिल रही है और उनक ताजपोषी के बाद कई जिलो के पुलिस कप्तानो की कुर्सी हिलनी भी तय मानी जा रही है। प्रदेष के कई जिलो में जहां अपराध बड़ने के साथ जनता के बीच पुलिस की छवि दागदार बनी हुई है वहां फेरबदल होना तय माना जा रहा ळै।भाग के  अब देखना होगा कि उत्त्राखण्ड के पुलिस महकमे को जो कुछ अधिकारियो की भ्रश्टाचारी बेलो के सहारे धूमिल हो गया है उसे नए डीजीपी सत्यव्रत बंसल कैसे बदलेंगे। बंसल को तेज तर्रार आइपीएस अधिकारियो में भी ष्ुामार किया जाता है और महकमे को किस तरह लाना है इसकी परिभाशा भी उन्हे बखूबी आती ळै।

Saturday, July 21, 2012

डैमेज कंट्रोल की कोशिशें आखिरकार चौथे दिन सुबह रंग लाई

देहरादून
पौड़ी जिले के डीएम को हटाने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और श्रीनगर क्षेत्र के विधायक गणेश गोदियाल के बीच कहासुनी से उपजे सियासी विवाद का शनिवार को नाटकीय ढंग से पटाक्षेप हो गया। मुख्यमंत्री ने विधायक से दूरभाष पर संपर्क साधा तो कुछ देर की बातचीत में दोनों पक्षों ने गिले-शिकवे दूर किए। चार दिनों तक खींचतान के बाद मामला शांत होने पर मुख्यमंत्री के साथ ही पार्टी भी राहत महसूस कर रही है। उधर, पार्टी का एक खेमा अब भी विधायकों पर नौकरशाहों को तरजीह देने के मामले पर मुखर है। हाईकमान के तेवर देखते हुए इस गुट ने फिलहाल आग में दबी चिंगारी की तरह चुप्पी ओढ़ रखी है।
मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ दल के ही विधायक के बीच कहासुनी से उपजे विवाद के तूल पकड़ने से पार्टी असहज महसूस कर रही थी। पार्टी हाईकमान, वरिष्ठ नेताओं और संगठन के हस्तक्षेप से बने दबाव के चलते दोनों ही पक्षों को ठंडा रुख अपनाने को मजबूर कर दिया। बीती बुधवार को सीएम आवास पर सत्तापक्ष के विधायकों की बैठक में पौड़ी जिले के जिलाधिकारी के रवैये से नाराज विधायक गोदियाल ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से की। विधायक के लहजे पर मुख्यमंत्री के भड़कने से यह मामला तूल पकड़ गया था। इससे सरकार की छवि पर पड़ रहे असर के मद्देनजर पार्टी हाईकमान ने भी मामले को जल्द शांत करने की हिदायत दी। तीन दिन से डैमेज कंट्रोल की कोशिशें आखिरकार चौथे दिन सुबह रंग लाई। बीते गुरुवार को राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए मतदान के दिन से ही इस प्रकरण में में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे काबीना मंत्री हरक सिंह रावत शनिवार सुबह करीब नौ बजे मुख्यमंत्री आवास पहुंचे। उन्होंने विधायक की नाराजगी दूर करने के लिए मुख्यमंत्री से वार्ता की पहल का सुझाव दिया। इसके बाद काबीना मंत्री रावत की मौजूदगी में ही मुख्यमंत्री बहुगुणा ने दूरभाष विधायक गोदियाल से वार्ता की। कुछ देर बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने गिले-शिकवे दूर किए। संपर्क करने पर हरक सिंह रावत ने इसकी पुष्टि की। उधर, पार्टी सूत्रों के मुताबिक गोदियाल प्रकरण पर अन्य कई विधायक अब भी मुखर हैं। उनकी मंशा है कि सरकार के मुखिया की ओर से नौकरशाहों पर सख्ती से अंकुश लगाने के संकेत दिए जाने चाहिए। इस गुट में गोदियाल को भी शामिल बताया जा रहा है।

राहुल के नेतृत्व में आम चुनाव लड़े कांग्रेस

नई दिल्ली। राहुल गांधी के बड़ी भूमिका के लिए तैयार होने की बात कहते ही सभी दिग्गज कांग्रेसियों ने एक-दूसरे के सुर में सुर मिलाते हुए अगला आम चुनाव उनके नेतृत्व में ही लड़ने का राग अलापना शुरू कर दिया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपने दो दौर पूरे कर रहे हैं। अब कांग्रेस को वर्ष 2014 का लोकसभा चुनाव राहुल के नेतृत्व में ही लड़ना चाहिए। कुछ ऐसी ही पैरोकारी ऑस्कर फर्नाडिस, वीरप्पा मोइली, दिग्विजय सिंह और सुबोध कांत सहाय ने भी की है।
बहुगुणा ने कहा कि राहुल को पूरे देश से स्वीकार्यता मिल रही है। ऐसे में वही भविष्य के प्रधानमंत्री के तौर पर पेश किए जाने के लिए सबसे बेहतर विकल्प हैं। जब उनसे पूछा गया कि राहुल को कौन सी जिम्मेदारी लेनी चाहिए, तो वरिष्ठ कांग्रेस नेता कहा कि उन्हें सरकार और पार्टी दोनों में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। कुछ इसी अंदाज में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ऑस्कर फर्नाडिस ने कहा कि राहुल हमें नेतृत्व प्रदान करेंगे। वहीं, कंपनी मामलों के मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने कहा कि अब राहुल को निर्णायक भूमिका में आना ही होगा। उन्होंने कहा कि राहुल ने पार्टी को काफी समय दिया है और वह देश के युवाओं में काफी उत्साह भर चुके हैं। अब पूरा देश चाहता है कि वह ज्यादा सक्रिय भूमिका में नजर आएं।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि गांधी परिवार ने देश को जितना दिया है, उतना देश से लिया नहीं है। उन्होंने कहा कि इस परिवार ने देश के लिए बड़े बलिदान किए हैं और दो बड़े नेताओं को न्योछावर किया है। केंद्रीय पर्यटन मंत्री सुबोध कांत सहाय ने राहुल गांधी द्वारा संगठन की कमान पूरी तरह संभालने की पैरोकारी की। उन्होंने कहा कि इससे देश भर में कांग्रेस मजबूती से आगे बढ़ेगी। साथ ही 2014 के लोकसभा चुनाव में केवल यूपी में ही नहीं पूरे देश में बेहतर परिणाम आएंगे।

Wednesday, May 23, 2012

किरन चंद मण्डल ने सौंपा विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीपफा



देहरादून। भजपा विधयक किरन मंडल का कई दिनों से चल रहा लुकाछुपी का खेल आखिरकार आज खत्म हो गया। विधयक पद से इस्तीपफा देने के बाद किरन मंडल ने विधनसभा अध्यक्ष गोविन्द सिंह कंुजवाल के आवास पर कहा कि कांग्रेस बंगाली समुदाय को अध्किार देने के साथ-साथ उनकी मांगों पर खरा उतरी है और समुदाय की मांगों के कारण ही उन्होंने विधयक पद से अपनी कुर्बानी दी है।
दोपहर बाद दिल्ली से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य व भूपेश उपाध्याय के साथ विशेष विमान से देहरादून पहंुचने के बाद शाम करीब चार बजे भाजपा विधयक किरन मंडल ने विधनसभा अध्यक्ष के आवास पर कई नेताओं की मौजूदगी में अपना त्यागपत्रा सौंप दिया। पिछले कई दिनों से भाजपा विधयक को लेकर प्रदेश में राजनैतिक समीकरण बिगड गये थे और भाजपा ने कांग्रेस पर विधयक का अपहरण किये जाने का आरोप लगाते हुए इसे लोकतंत्रा की हत्या तक करार दे दिया था और बीते दिवस राज्यपाल ए कुरैशी से मुलाकात करने के बाद नेता प्रतिपक्ष अजय भटट व प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुपफाल ने जांच की मांग भी की थी लेकिन आज विधयक पद के इस्तीपफा देने के बाद भाजपा आसमंजस की स्थिति में नजर आ रही है। विधयक के इस्तीपफा देने के बाद अब इस सीट पर उप चुनाव किया जाना तय है लेकिन इस सीट से कौन चुनाव लडेगा यह पफैसला अभी नहीं हो पाया है।

..मर जाता तब खुलती साहब की नींद!

.
देहरादून। खाकी में चंद अधिकारियों का एक चेहता हेडकांस्टेबल राजधानी में इतना बैखौफ हो रखा है कि उसे हर अपराध माफ है। कितनी बड़ी शर्म की बात है कि जिस हेडकांस्टेबल ने एक युवती के साथ अश्लीलता की और उसकी जांच हुई लेकिन हेडकांस्टेबल का कुछ नहीं बिगड़ा। इसी के चलते वह इतना निडर हो गया कि पैसे वसूलने के लिए वह किसी को भी रास्ते से उठाकर थाने व चैकियों में हैवान की तरह उन्हें पीटने लगा। सवाल उठता है कि हाल में जिस युवक को हेडकांस्टेबल व सिपाही ने कैण्ट कोतवाली के अंदर हैवानों की तरह पीटा, अगर वह थाने में मर जाता तो क्या तक साहब की आंख खुलती, क्योंकि जिस तरह से कैण्ट कोतवाली प्रभारी को इस मामले में क्लीन चिट दी गई, उससे सवाल उठ खड़े हुए है कि जिस कोतवाल की कोतवाली में हैवानियत का नंगा नाच हुआ उस समय आखिरकार कोतवाल कहां सो रहा था? हेडकांस्टेबल की हैवानियत पुलिस कप्तान के सामने आई तो उन्होंने भी हैवान हेडकांस्टेबल व पुलिसकर्मी को लाईन हाजिर कर मामले की जांच उस सीओ के हवाले कर दी जिस पर आरोप है कि वह अक्सर इस हेडकांस्टेबल को बचाने की मुहिम में आगे रहता है।
कैण्ट थाने में चंद दिन पूर्व नींबू वाला निवासी डिंपल को कैण्ट कोतवाली के हेडकांस्टेबल अजय शाह व उसके एक साथी ने हफ्ता न देने पर थाने के अंदर हैवान की तरह पीटा और जब इस मामले में उबाल आया तो हर बार की तरह हेडकांस्टेबल को लाईन हाजिर करने का ड्रामा किया गया। सवाल उठता है कि कुछ समय पूर्व भी यह हेडकांस्टेबल एक व्यक्ति को यातनाएं देने पर लाईन हाजिर हुआ था लेकिन कप्तान का पद संभालते ही मैडम ने हेडकांस्टेबल व लाईन हाजिर हुए पुलिसकर्मियों को बहाल कर उन्हें कुछ भी करने की खुली छुट दे डाली। पुलिस महकमंे में सवाल उठ रहे है कि आखिरकार कुछ अधिकारी क्यों इस हेडकांस्टेबल को पहाड़ी जनपद में तैनात करने से बच रहे है क्योंकि लाईन हाजिर विभाग में एक नौटंकी माना जाता है और चंद समय बाद ही उसे किसी अन्य स्थान पर तैनात कर दिया जाता है। आज इस मामले की शिकायत दिल्ली मानवाधिकार आयोग में भी पीड़ित पक्ष ने कर दी है। यहां यह उल्लेखनीय है कि एक ओर तो पुलिस कप्तान जनता व पुलिस के बीच समनवय कायम करने का दावा कर रही है। वहीं खाकी में कुछ लोग आवाम के साथ हैवानियत कर रहे है।



मुख्यमंत्री चुनाव लड़ने का ग्रीन सिग्नल हाईकमान को नहीं दिखा रहे

देहरादून। उत्तराखण्ड में भाजपा के हथियार से कांग्रेस ने जिस तरह से पलटवार किया है। उससे प्रदेश की राजनीति में भाजपा कई चैराहों पर खड़ी हुई नजर आ रही है। भाजपा विधायक किरन मंडल ने अभी अधिकारिक रूप से भाजपा को अलविदा कहकर कांग्रेस का दामन नहीं थामा है। लेकिन जिस तरह की परिस्थतियां उत्पन्न हो चुकी है। और भाजपा नेताओं के बयान आ रहे है। उससे ऐसा लगता है कि अब किरन मंडल भाजपा को छोड़कर कांग्रेस का दामन थामने के बाद राजनैतिक जीवन शुरू करेंगे। बंगाली समुदाय की मांगों को पूरा किए जाने का आश्वासन मिलने के साथ-साथ देर शाम होने वाली कैबिनेट की बैठक में इस पर मोेहर लगनी तय मानी जा रही है और कैबिनेट के फैसले के बाद भाजपा विधायक किरन मंडल गुरूवार को अपने विधायक पद से इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को सौंप सकते है।
पिछले दस दिनांे से प्रदेश में राजनैतिक समीकरण इस तरह बदल गए है कि अब भाजपा भी सरकार बनाने के खवाब देखती हुई नजर आ रही है। लेकिन इस बात की संभावनाएं बहुत कम है कि कांग्रेस का कोई विधायक भाजपा के दामन में जाकर सरकार के खिलाफ बगावत का बीज बो सके। दिल्ली से कांग्रेस के कंेन्द्रीय नेता हरीश रावत को बयान सरकार के पक्ष में आने के बाद उनके सुर भी विजय बहुगुणा के साथ जा मिले है और उन्होंने उत्तराखण्ड में पांच साल तक कांग्रेस सरकार के चलने की बाते कही है। रातोंरात सितारगंज सीट को कांग्रेस के कुछ नेताओं द्वारा उसे हाॅट बना दिया गया है। लेकिन उस सीट से किरनमंडल के इस्तीफा देने के बाद वहां से कौन चुनाव लड़ेगा इस पर संश्य अभी बरकरार है। लेकिन इस सीट से मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के चुनाव लड़ने की बातें भी सामने आ रही थी। लेकिन बीते दिवस दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान के समाने मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने उपचुनाव लड़ने वाली विधानसभा का नाम नहीं खोला है और वर्तमान में सरकार के बजट सत्र को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई है। बहुगुणा सरकार का यह पहला बजट सत्र जनता के बीच कितना प्रभावशाली होगा। इसकी कार्यकुशलता भी देखने लायक होगी। इसी को ध्यान में रखकर अभी मुख्यमंत्री उपचुनाव की सीट का फैसला लेने के मूड में नहीं दिख रहें। लेकिन कांग्रेस का एक वर्ग बंगाली समुदाय की इस विधानसभा से मुख्यमंत्री को उपचुनाव लड़वाने के लिए तैयारी में जुटा है और उसका मानना है कि यदि मुख्यमंत्री इस सीट विधानसभा का चुनाव लड़ते है तो यहां से जीत का आंकड़ा 50 हजार के करीब पंहुच सकता है। लेकिन इस सीट से मुख्यमंत्री चुनाव लड़ने का ग्रीन सिग्नल हाईकमान को नहीं दिखा रहे है और अन्य विधानसभाओं जिनमें विकासनगर, यमनोत्री के साथ-साथ अन्य सीटों पर भी मंथन किया जा रहा है। राजनैतिक विश्लेषक यह भी मानकर चल रहें है कि मुख्यमंत्री का उपचुनाव जीत का आंकड़ा बढ़ाता है। तो इसका असर आगामी होने वाली स्थानीय चुनाव के साथ-साथ कांग्रेस को भी फायदा पहंुच सकता है। 
उपचुनाव जीतने के साथ-साथ सरकार पांच साल तक चलाने की जिम्मेदारी भी मुख्यमंत्री को परेशानी डालती हुई नजर आ रही है और वर्तमान में कांग्रेस सरकार बसपा, उक्रांद व निर्दलीय विधायकों के सहारे बैसाखियों पर टिकी हुई है। जिस कारण कांग्रेस भाजपा के अन्य विधायकोें को भी इस्तीफा दिला कर मजबूत सरकार बनाना चाहती है। जिससे बैसाखियों की जरूरत न पड़ सके। हालांकि एक विधायक से इस्तीफा दिलाने के बाद वहां उपचुनाव के चलते राजनैतिक समीकरण किसके पक्ष में रहेंगे इसे लेकर भी भाजपा व कांग्रेस मंथन में जुटे हुए है। माना जा रहा है कि आने वाले कुछ दिनांे में उत्तराखण्ड में राजनैतिक समीकरण का ऐसा खेल राजनीति की बिसात पर खेला जायेगा। जिसके परिणाम काफी अचंभित भरे हो सकते है। भाजपा अभी राज्यपाल के यहां दस्तक दे कर सरकार पर दबाव बनाती हुई दिख रही है। लेकिन सदन के भीतर किस तरह से सरकार से लड़ेगी। इसकी रूपरेखा तय नहीं कर पाई है। नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद अजय भट्ट के खिलाफ अंदर खाने विरोध की आग कम नहीं हुई हैै और अब सदन के भीतर भाजपा को फेल करने ककी कोशिश भी होती हुई नजर आ रही है।

मौत का सफर बनती चार धाम यात्रा


नौसिखिए ड्राईवर के सहारे चार धाम यात्रा
देहरादून, चार धाम यात्रा के शुरूआती पड़ाव में ही
यात्रा मार्ग पर यात्रियों की कब्रगाह बनती देवभूमि से पर्यटकों का आना
कम हो सकता है। लगातार बढ़ती जा रही दुर्घटनाओं के कारण यात्रियों की भारी
भीड़ अब देवभूमि के चार धाम यात्रा पर आने से पहले अपनी मौत को लेकर
आशंकित से नजर आ रहे हैं। चार धाम यात्रा पर हर साल लाखों की संख्या में
देश व विदेश के पर्यटकों का हुजूम उमड़ता है, लेकिन यात्रा मार्ग की
सुरक्षा को लेकर जिस तरह से अधिकारियों ने बसों को भारी मात्रा में
ओवरलोड़ करने की परमिशन दे रखी है वह दुर्घटनाओं को दावत देती हुई नजर आ
रही है। चार धाम यात्रा में मंगलवार को हुई बस दुर्घटना ने साबित कर दिया
कि चार धाम यात्रा में आने वाले यात्रि सुरक्षित नहीं है। प्रदेश के
मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने चार धाम यात्रा में आने वाले पर्यटकों को
सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ-साथ सुरक्षा के भी समूचित प्रबंध करने
के निर्देश संबंधित अधिकारियों को ऋषिकेश में चार धाम यात्रा की शुरूआत
के समय दिए थे, लेकिन उन निर्देशों का कोई पालन अधिकारियों द्वारा नहीं
किया गया है। जिस कारण चार धाम यात्रा से लौट रही बस दुर्घटनाग्रस्त होने
के साथ-साथ यात्रा मार्ग की अब तक की सबसे बड़ी दुर्घटना बन गई है।
पर्वतीय क्षेत्रों में बसों के गिरने का सिलसिला जिस तरह से बढ़ता जा रहा
है, उससे यात्रा मार्ग पर जाने वाले पर्यटक भी अब देवभूमि की तरफ कम
संख्या में रूख करते हुए देखे जा सकते हैं। जिस कारण पर्यटन के साथ-साथ
उत्तराखण्ड सरकार को राजस्व की भारी हानि उठानी पड़ सकती है। एक तरफ राज्य
सरकार उत्तराखण्ड के पर्यटक स्थलों को विकसित करने के साथ-साथ राजस्व में
इजाफा करने की बात कह रही है, वहीं दूसरी तरफ यात्रा मार्गों पर सुरक्षा
व्यवस्था पर्यटकों के अनुरूप न होने के चलते पर्वतीय क्षेत्रों में वाहन
दुर्घटनाग्रस्त होते जा रहे हैं। मंगलवार को हुई बस दुर्घटना के क्या
कारण रहे इस बारे में जांच करने के बाद ही तथ्य उभरकर सामने आ सकते हैं,
लेकिन जिस तरह से मैदानी क्षेत्रों में वाहनों को चलाने वाले चालकों को
यात्रा मार्ग पर बिना जांच पड़ताल के भेजा जा रहा है, जिससे इस तरह की
घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। चालक की लापरवाही के कारण या फिर पर्वतीय
क्षेत्रों में अनुभव की कमी के चलते पर्यटक मौत के मुंह में भेजे जा रहे
हैं और इससे राज्य सरकार के साथ-साथ उत्तराखण्ड के पर्यटन पर भी प्रतिकूल
प्रभाव पड़ रहा है यदि समय रहते इस तरह की घटनाओं पर लगाम नहीं लगाई गई तो
वह दिन दूर नहीं जब दूर-दराज से आने वाले पर्यटक उत्तराखण्ड की चार धाम
यात्रा पर आने से कतराते हुए नजर आएंगे। ट्रैवल एजेंसियां भी इस
दुर्घटनाओं में सबसे बड़ा कारण बनकर सामने आ रही हैं और अपनी कमाई के लालच
में अनुभवहीन चालकों को पर्वतीय क्षेत्रों में भेजकर जिस तरह से यात्राएं
पर्यटकों को करवाई जा रही है, वह किसी मौत के सफर से कम नहीं। प्रदेश में
पिछले कई वर्षों में सैकड़ों लोग दुर्घटनाओं के चलते मौत के मंुह में समा
चुके हैं और अधिकतर घटनाएं बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों के कारण ही
घटित होती हुई प्रकाश में आई है।

सीएम ने जाना घायलों का हाल


देहरादून  मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा बुधवार को दिल्ली
से देहरादून लौटते समय जौलीग्रांट हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद
जौलीग्रांट हिमालयन इंस्टीट्यूट में पहुंचकर विगत दिवस व्यासी में हुई बस
दुर्घटना में गम्भीर रूप से घायल यात्रियों का हालचाल पूछा। उन्होने
गम्भीर रूप से घायल 2 यात्रियों से उनकी कुशल क्षेम पूछी तथा आईसीयू में
भर्ती महिला यात्री को भी जाकर देखा तथा डॉक्टरों से उनके इलाज के बारे
में जानकारी प्राप्त की।
मुख्यमंत्री ने हिमालयन इंस्टीट्यूट के निदेशक विजय धस्माना को घायलों का
बेहतर इलाज करने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि घायलों के इलाज
पर होने वाला पूरा खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जायेगा। डॉक्टरों ने
बताया कि दोनों गम्भीर पुरूष यात्री अब खतरे से बाहर हैं तथा महिला
यात्री, जो कि आईसीयू में भर्ती है भी खतरे से बाहर है। मुख्यमंत्री ने
मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनका मध्य प्रदेश की सरकार के साथ सम्पर्क
बना हुआ है तथा राज्य सरकार यात्रियों की देखभाल में कोई कसर नही रखेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारियों को निर्देश दिये गये है कि चारधाम
यात्रा पर जाने वाले सभी वाहनों का फिटनेस चैकिंग गंभीरता से की जाय और
यदि इस कार्य में लापरवाही पायी, तो उनके विरूद्ध सख्त कार्यवाही की
जायेगी।

उत्तराखंड में 15 दिन देर से आएगा मानसून!


देहरादून उत्तराखंड में इस बार भी मानसून में 15 दिन
विलंब होगा। कम से कम 30 जून तक लोगों को इंतजार करना होगा। यही नहीं जिस
तरह मौसम का मिजाज चल रहा है, उससे मानसून के पूर्व होने वाली प्री
मानसून की वर्षा की कोई संभावना फिलहाल नहीं है। जून के अंतिम पखवाड़े तक
लोगों को लू के थपेड़े झेलने पड़ेंगे। जिसकी शुरुआत हो चुकी है। मानसून और
प्री-मानसून का यह खेल मौसम चक्र प्रभावित होने की वजह से बन रहा है।
अक्तूबर और दिसंबर में बारिश हो जाती तो उसका कुछ लाभ मिल जाता। यही नहीं
जनवरी से अब तक भी औसत के अनुपात में बारिश नहीं हो सकी। जिससे तापमान
में चढ़ाव का क्रम जारी है। नमी कम होने से पश्चिम दिशा से चलने वाली हवा
सूर्य के तेज की वजह से लू के थपेड़े में परिवर्तित हो रही है। यही नहीं
एक दिन में दो दिशा से हवा चल रही है। सुबह पश्चिम-पूरब-पश्चिम दिशा से
चलने वाली हवा दोपहर होते ही पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा में परिवर्तित हो
रही है। आम तौर से पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा से चलने वाली हवा में गर्मी
लिए होती है। इसलिए कि यह हवा मध्य भारत की ओर से चलती है। इन्हीं वजह से
क्षेत्रीय प्रभाव की वजह से बनने वाला मौसम भी प्रभावित हो रहा है।
मानसून के पूर्व होने वाली प्री मानसून की बारिश भी प्रभावित हो सकती है।
इसलिए प्री मानसून की वर्षा में क्षेत्रीय प्रभाव और पश्चिमी विक्षोभ के
मिश्रित प्रभाव होता है। मौसम विभाग ने पूर्व में ही 15 जून से 15 सितंबर
तक चलने वाले मानसून सत्र में औसत बारिश की संभावना जता दी है। यदि
मानसून सत्र पर गौर करें तो पिछले 12 साल का गोविंद वल्लभ पंत कृषि
विश्वविद्यालय में जो आंकड़ा है उस आधार पर 27 से 30 जून तक उत्तराखंड में
मानसून की दस्तक होती है। जबकि देश के अन्य राज्यों में 15 जून से मानसून
सक्रिय होता है। इसी आधार पर इस बार भी 30 जून तक मानसून की दस्तक की
संभावना है। उससे पहले लोकल सिस्टम और पश्चिम विक्षोभ अगर सक्रिय हो गया
तो आंशिक बारिश हो सकती है।

लाखों खर्च कर भी सरकार नहीं बना पाई किसी को अफसर


देहरादून ।समाज ल्याण विभाग लाखों रूपये खर्च कर सरकार
अनुसूचित जाति के मेधावी छात्रों को सिविल सर्विसेज की परीक्षाओं की
तैयारी कराने के लिए कोचिंग की सुविधा उपलब्ध कराता है। हाल के वर्षों
में सरकार ने इस पर लाखों रुपये तो खर्च कर दिए, लेकिन एक भी छात्र का
चयन सिविल सर्विसेज में नहीं हो पाया। विभाग अफसर नहीं बना पाया तो बाबू
बनाने पर ध्यान केंद्रित किया और कोचिंग योजना से समूह ग की तैयारी कराई
गई। शैक्षिक सत्र 2009-10 में समाज कल्याण विभाग ने सिविल सर्विसेज की
प्री परीक्षा की तैयारी कराने के लिए अल्मोड़ा, नैनीताल और देहरादून की
आधा दर्जन नामी कोचिंग संस्थाओं का चयन किया। तब तय हुआ था कि प्री
परीक्षा पास होने वाले छात्रों को मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए अलग से
धनराशि दी जाएगी। मगर एक भी छात्र प्री परीक्षा पास नहीं कर पाया। इस
सत्र 70 छात्रों को शामिल किया गया था। चार माह की कोचिंग के लिए प्रति
छात्र 15 हजार रुपये की दर से कोचिंग संस्थानों को 10.50 लाख रुपये का
भुगतान किया गया। इसमें अल्मोड़ा की संस्था संबर्धन, नैनीताल जिले में
दिशा एकेडमी और जीत एकेडमी तथा देहरादून में ब्रिलिएंट, प्रयास और एकलव्य
नामक शामिल थीं। इसके पश्चात विभाग ने सिविल सर्विसेज की परीक्षा की
तैयारी कराने की योजना से हाथ खींच लिया और शैक्षिक सत्र 2010-11 में 40
छात्रों को मेडिकल परीक्षाओं की तैयारी कराई। इसके लिए अल्मोड़ा की संस्था
संबर्द्धन और पिथौरागढ़ की कोचिंग संस्था प्रभाकर स्मृति संस्थान का चयन
किया गया, लेकिन हश्र वही रहा। इससे विभाग की योजना, छात्रों और कोचिंग
संस्थानों के चयन पर सवाल उठाए जाने लगे हैं। फिलहाल समाज कल्याण विभाग
ने समूह ग परीक्षाओं के लिए कोचिंग दिलाना शुरू कर दिया है। इसमें
2011-12 में 297 छात्रों पर 23.19 लाख रुपये खर्च किए गए। इस वर्ष की
परीक्षाओं के अभी परिणाम घोषित नहीं हो पाएं हैं।

देवी ने कहा पेड़ पर चढ़ जाओ...........................


..
देहरादून देवी के आदेश पर पेड़ पर चढ़ी मानसिक रूप से
विक्षिप्त महिला ने आज पुलिस एवं दमकल टीम को घंटों तक परेड कराई। बाद
में पुलिस ने समझा बुझा कर महिला को नीचे उतारा और राहत की सांस ली।
बसंत विहार थाना क्षेत्र जीएमएस रोड पर स्थित मंदिर में घटना आज सुबह
लगभग नौ बजे प्रकाश में आई। यहां एक विक्षिप्त महिला पेड़ पर चढ गयी और
उपर से हल्ला मचाने लगी। आसपास के लोगों का ध्यान उसकी तरफ गया तो उसे
नीचे उतारने का प्रयास किया गया लेकिन वह नीचे उतरने को तैयार नहीं हुई।
सूचना मिलने पर पुलिस को सूचना दी गयी। प्रभारी निरीक्षक अरविंद सिंह
रावत फोर्स लेकर मौके पर पहुंचे लेकिन वह फिर भी नीचे उतरने को तैयार
नहीं हुई। दुर्घटना की आशंक पर दमकल को भी बुलाया गया।
काफी मशक्कत के बाद पेड़ पर चढी महिला से जब श्री रावत ने बात की तो उसने
कहा कि क्षेत्र के लोगों ने मंदिर में गंदगी फैला रखी है, मंदिर को शुद्ध
करने की जरूतर है। महिला बार-बार कह रही थी कि उसे देवी मां ने ऐसा करने
को कहा है जिससे कि मंदिर की पवित्रता बनी रहा। श्री रावत ने महिला से
कहा कि वह नीचे उतर कर खुद मंदिर की पूरी सफाई कर दे जिससे मंदिर फिर से
पवित्र हो जाए। बात महिला की समझ में आ गयी और वह नीचे उतरने को तैयार हो
गयी। पुलिसकर्मियों की मदद से महिला को नीचे उतारा गया।
नीचे आने पर पुलिस ने उसे गन्ने का जूस एवं मंदिर का प्रसाद खाने को
दिया। साथ ही मंदिर की सफाई के लिए उसे एक बाल्टी व अन्य सामान दिया गया।
पुलिस का कहना था कि गर्मी के कारण विक्षिप्त महिला ने अपना मानसिक
संतुलन खो दिया था। मनोवैज्ञानिक तरीके से समझाने के बाद महिला मंदिर की
सफाई में जुट गयी और पुलिस ने भी राहत की सांस ली।


सीएम ने की (आर.बी.आई.) के गवर्नर डॉ. डी. सुब्बाराव ने भेंट

देहरादून मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से बुधवार को
सचिवालय में भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) के गवर्नर डॉ. डी. सुब्बाराव
ने भेंट की। भेंट के दौरान मुख्यमंत्री  बहुगुणा ने आर.बी.आई. के गवर्नर
से अपेक्षा की, कि प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए
पर्वतीय क्षेत्रों मंे बैंकिंग गतिविधियों को बढ़ावा दे। इसके लिए बैंक
शाखाएं स्थापित करने के मानकों में शिथिलता बरती जाय। मुख्यमंत्री श्री
बहुगुणा ने कहा कि बैकों को कारपोरेट सोशल रिस्पोंस्बिलिटी के तहत भी
कार्य करते हुए उद्योग, पर्यटन एवं अन्य व्यावसायिक गतिविधियों के माध्यम
से निवेश को बढ़ावा देना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड पर्यटन
प्रदेश है, इसलिए यहां पर पर्यटक स्थलों तक ई-बैकिंग सुविधा उपलब्ध करायी
जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सीमांत क्षेत्रों के
विकास के लिए प्रतिबद्ध है और इसमें बैकों को भी अपना सहयोग देना चाहिए।
सीमांत क्षेत्रों मंे अधिक से अधिक बैंकिंग सेवाएं स्थापित हो, इसके लिए
प्रयास किये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड का अधिकांश भू-भाग
वनाच्छादित है, ऐसे में हमारे ऊपर पर्यावरण व वनों को संरक्षित करते हुए
विकास कार्य जारी रखने का दबाव है। साथ ही प्रदेश में अधिकांश वन क्षेत्र
है, जिससे हमारे विकास कार्य बाधित हो रहे है। मुख्यमंत्री ने कहा कि
बैंकों को किसानों, आम आदमी, युवाओं व अल्पसंख्यक समुदाय के लिए विशेष
योजनाएं शुरू करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य में साक्षरता दर सबसे
अधिक है, इसलिए राज्य की साक्षरता दर को देखते हुए उसी प्रकार की योजनाएं
शुरू की जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में उद्योगों के लिए अनुकूल
वातावरण है और राज्य सरकार राज्य में निवेश करने वाले उद्यमियों को हर
संभव मदद देगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की विषम भौगोलिक
परिस्थितियों को देखते हुए राज्य में स्थापित होने वाले बैकों में मैदान
व पर्वतीय क्षेत्रों में संतुलन बनाया जाय। पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक
से अधिक बैंक शाखाएं स्थापित की जाय।
भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) के गवर्नर डॉ. डी. सुब्बाराव ने कहा कि
उत्तराखण्ड के विकास में आर.बी.आई. हर संभव मदद देगा। उन्होंने कहा कि
गुरूवार को होने वाली विशेष बैंकर्स समिति की बैठक में राज्य से जुड़े
प्रस्तावों पर भी चर्चा की जायेगी। राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों
को देखते हुए दूरस्थ एवं दुर्गम क्षेत्रों में भी बैंकों की शाखाएं खोलने
के निर्देश दिये जायेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य में नई बैकिंग शाखाएं
खोलते समय राज्य की पर्वतीय व मैदानी क्षेत्रों में संतुलन बनाये रखने पर
ध्यान रखा जायेगा। उन्होंने कहा कि आर.बी.आई. द्वारा क्षेत्रीय कार्यालय
स्थापित किया गया है, जिसे और अधिक मजबूत व सुदृढ़ किया जायेगा। उन्होंने
कहा कि उत्तराखण्ड शिक्षा का हब है, जिसका लाभ राज्य सरकार को उठाना
चाहिए। जनपद स्तर तक शिक्षा गतिविधियों का विस्तार किया जाय। उन्होंने
कहा कि राज्य सरकार को ई-बैकिंग व्यवस्था को प्रभावी ढंग से लागू करना
चाहिए।
वित्त मंत्री डॉ. इन्दिरा हृदयेश ने आर.बी.आई. के गवर्नर डॉ. डी.सुब्बराव
से राज्य में माइक्रोफाइनेस के क्षेत्र में कार्य करने के लिए विशेष
योजनाएं शुरू करने, बिना गारंटी के ऋण उपलब्ध कराने हेतु विशेष प्रयास
करने तथा वर्तमान में प्रति 2000 की आबादी के मानक में शिथिलता प्रदान
करने की प्रभावी पहल की। उन्होंने कहा कि राज्य में 80 प्रतिशत गांव ऐसे
है, जिनकी आबादी 500 है, ऐसे में इन गांवों को बैकिंग सुविधाओं का लाभ
नही मिल पा रहा है। डॉ. हृदयेश ने राज्य में ऋण जमा अनुपात को बढ़ाने तथा
पर्यटन आधारित योजनाओं के लिए अधिक से ऋण संबंधी योजनाएं शुरू करने की
बात कही।
इस अवसर पर राजस्व मंत्री यशपाल आर्य, मुख्य सचिव आलोक कुमार जैन, सचिव
वित्त राधा रतूड़ी, सचिव पर्यटन एस.एस.संधू, आर.बी.आई. के क्षेत्रीय
निदेशक लखनऊ रवि मिश्रा, दिल्ली के चन्दन सिन्हा तथा उत्तराखण्ड के
क्षेत्रीय निदेशक आर.एल.दास आदि उपस्थित थे।

Saturday, April 28, 2012

बाबा केदारनाथ के खुले कपाट

मौसम की खराबी के चलते अभिनेता अमिताभ नहीं कर पाए दर्शन
देहरादून, गंगोत्री, यमुनोत्री के बाद शनिवार को बाबा केदारनाथ के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। वैदिक मांत्रोचारण के साथ खोले गए कपाट के दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटी रही। हालांकि कपाट खुलने के कुछ देर बाद ही मौसम की खराबी के चलते केदारनाथ में बर्फबारी होने के कारण अभिनेता अमिताभ बच्चन व नीरा राडिया बाबा केदार के दर्शन नहीं कर सकें। जबकि गंगोत्री में दर्शन करने के बाद उद्योगपति अनिल अंबानी ने शनिवार को अपने पुत्र व भतीजी के साथ केदारनाथ के दर्शन किए।
केदारनाथ में मौसम की खराबी के चलते श्रद्धालुओं की ठंड के कारण भारी परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है और मौसम खराबी के चलते पर्यटक केदारनाथ धाम तक नहीं पहुंच पा रहे। धाम के कपाट खुलने के दौरान करीब 2000 से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ मौजूद थी। भीड़ को देखते हुए भारी संख्या में पुलिस फोर्स भी तैनात किए गया था। वहीं रविवार को बद्रीनाथ धाम के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाऐंगे यदि मौसम ठीकठाक रहा तो आज रविवार को फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन सहित कई वीवीआईपी बद्रीनाथ धाम में दर्शन के लिए आ सकते हैं। गौरतलब है कि केदारनाथ धाम चार ज्योर्तिलिंगों में से एक महत्वपूर्ण ज्योर्तिलिंग है।

Thursday, April 26, 2012

एनडी तिवारी को देना होगा ब्लड सैंपल

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एकल पीठ के उस फैसले को दरकिनार कर दिया जिसमें कहा गया था कि काग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी को पितृत्व संबंधी मामले में खून के नमूने देने को बाध्य नहीं किया जा सकता।कोर्ट ने कहा कि तिवारी को डीएनए जांच के लिए खून का सैंपल देना ही होगा और अगर इसमें वह आनाकानी करते हैं तो पुलिस की मदद ली जा सकती है।

सबक हैं बोफोर्स के नए खुलासे- चित्रा सुब्रमण्यम

ढाई दशकों तक अपनी पहचान छिपाकर रखने वाले स्वीडन के पूर्व पुलिस प्रमुख स्टेन लिंडस्ट्रोम ने कहा है कि बोफोर्स घोटाले में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के खिलाफ घूस लेने के कोई सबूत नहीं है.
उन्होंने ये भी कहा कि इतालवी व्यापारी ओतावियो क्वात्रोकी के खिलाफ़ पुख्ता सबूत थे लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने क्वॉत्रोकी को बचाने की कोशिशों को नज़रअंदाज़ किया.
लिंडस्ट्रोम ने पहली बार इस बात का खुलासा किया है अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' की पत्रकार चित्रा सुब्रमण्यम को 1987 में किया था.
ताजा इंटर्व्यू भी लिंडस्ट्रोम ने चित्रा सुब्रमन्यम को दिया है. बीबीसी संवादादाता विधांशु कुमार ने चित्रा सुब्रमन्यम से बात की और पूछा नया खुलासा क्या है..

Friday, April 6, 2012

बहुमत, बहुगुणा और बखेड़ा

देहरादून, विधानसभा चुनाव नतीजों को घोषित हुए एक महीना बीत चुका है लेकिन उत्तराखंड की जनता ने सियासी दलों को जो खंडित जनादेश दिया है उसने दलों के भीतर नेताओं की मर्यादाओं को भी खंड-खंड कर दिया है। कांग्रेस तो इस खंडित जनादेश से परेशान है ही भाजपा की मुश्किलें भी कम नहीं हैं। भाजपा और कांग्रेस को मिले खंडित जनादेश में छोटे दलों और निर्दलियों की बल्ले-बल्ले हो रही है। कांग्रेस सरकार बनाने में भले ही कामयाब हो गई हो लेकिन समर्थन दे रहे निर्दलीय और क्षेत्रीय दलों के विधायक अब भी बंदूक लेकर मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को डरा रहे हैं। हालांकि मुख्यमंत्री की कैबिनेट के सदस्य भी मौका देखकर उन्हें चाकू दिखाकर डराने से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसे में संभवतः मुख्यमंत्री विजय बहुुगुणा रात को संतुष्ठी के इस भाव से झपकी लेते होंगे कि ‘चलिए एक दिन और कट गया’। खंडित जनादेश के कारण उत्तराखंड में सरकार होने के बावजूद सरकार होने का अहसास ही नहीं हो रहा है। यह सिर्फ विजय बहुगुणा या कांग्रेस की चिन्ता नहीं है बल्कि यह पूरे उत्तराखंड की चिन्ता है। सरकार किसी भी दल की बने लेकिन यदि वह बहुमत में नहीं है तो उस सरकार के चलने का कोई औचित्य नहीं रह गया है। जिस तरह से खंडित जनादेश ने सरकार चलाने वालों को असहाय कर दिया है उससे तीव्र गति से विकास की कल्पना करना बेईमानी सा लगता है। इसमें दोष मुख्यमंत्री का नहीं है बल्कि सरकार चलाने के लिए जो आंकड़ा चाहिए, दोष उस आंकडे़ तक नहीं पहुंच पाने का है। दुर्भाग्य से जिनके बूते सरकार बनाने का आंकड़ा विजय बहुगुणा छू रहे हैं उनकी प्राथमिकता में विकास की बजाए मंत्री पद है। ऐसे में बहुगुणा यदि उन्हें खुश कर रहे हैं तो पार्टी के भीतर डैमेज कंट्रोल करना टेड़ी खीर साबित हो रहा है। नतीजा सामने है कि सरकार होने का अहसास ही नहीं हो रहा है।
  खंडित जनादेश ने जिस तरह से सरकार व उसके मुखिया को पंगु बनाया है। उससे यह चिन्ता बढ़ गयी है कि क्या सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी। और यदि सरकार कार्यकाल पूरा कर सकी तो क्या मुख्यमंत्री फ्रंटपुफट पर रहकर विकास के चौके-छक्के मार पायेेंगे। यह बड़ा सवाल है। जिस तरह से मौजूदा सरकार फिलहाल बैकपफुट पर है उसने मतदाता को यह अहसास करा दिया है कि लोकतंत्र के महापर्व में जनता जनार्दन को समझ-बूझकर मतदान करने की है। किसी एक दल की सरकार यदि पूर्ण बहुमत में होगी तो उस दल के सामने ऐसी कोई मजबूरी नहीं होगी।

Sunday, February 26, 2012

केजरीवाल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव!

नई दिल्ली। संसद को अपराधियों का अड्डा बताने वाले अन्ना हजारे के सहयोगी अरविंद केजरीवाल के खिलाफ राजनीतिक दलों ने तीखा हमला बोला है। अपने मतभेदों को भुलाकर सभी पार्टियों ने कहा है कि केजरीवाल की घृणित टिप्पणी से यह पता चलता है कि उनका लोकतंत्र में विश्वास नहीं है। वहीं राजद केजरीवाल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है।कांग्रेस के प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा कि यह संसद का अपमान है। यह इस देश की जनता का अपमान है, जो सांसदों और विधायकों को चुनकर भेजती है। ऐसे बयानों से लोकतंत्र कमजोर होता है। ऐसे लोगों का प्रचार नहीं करना चाहिए। संसद में ऐसे लोगों का बहुमत है जो इस देश के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। वे सभी वहां कड़ी मेहनत से पहुंचे हैं।भाजपा ने केजरीवाल के बयान पर आक्रोश जताते हुए कहा कि कुछ लोग खुद को ईमानदार के रूप में पेश करने की कोशिश में यह एहसास कराते हैं कि पूरी दुनिया बेईमान हैं। इससे पता चलता है कि उन्हें संविधान और लोकतंत्र में भरोसा नहीं है। पार्टी के महासचिव मुख्तार अब्बास नकवी ने यह स्वीकार किया कि संसद में कुछ लोगो दागी हो सकते हैं, लेकिन इसके लिए आप संसदीय प्रणाली या लोकतांत्रिक व्यवस्था को खत्म नहीं कर सकते।लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष रामविलास पासवान ने कहा है कि यह लोकतंत्र पर हमला है। यह उन लोगों की मानसिकता का परिचायक है। पासवान ने उन नेताओं को भी आड़े हाथ लिया, जिन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्न हजारे के आंदोलन में उनके साथ मंच साझा किया था।गौरतलब है कि उत्तार प्रदेश के गाजियाबाद में शनिवार को एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा था कि इस संसद में 163 सदस्यों पर जघन्य अपराध के मामले हैं। इस संसद में बलात्कारी, लुटेरे और हत्यारे बैठे हैं। आप कैसे उम्मीद करते हैं कि यह संसद जन लोकपाल बिल को पारित कर देगी? आपको गरीबी और भ्रष्टाचार से मुक्ति दिला देगी?केजरीवाल के बयान पर बाबा रामदेव ने कोच्चि में कहा कि केजरीवाल के शब्दों और भाषा पर आपत्तिहो सकती है लेकिन उन्होंने जो कहा है, वह बिल्कुल सही है। अगर हम सांसद चुन सकते हैं तो उनके खिलाफ भी बोल सकते हैंटीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल के खिलाफ राष्ट्रीय जनता दल संसद के बजट सत्र में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाएगा। राजद यह प्रस्ताव केजरीवाल के सांसदों के ऊपर दिए गए गैरवाजिब टिप्पणी पर लाएगा।पार्टी महासचिव राम कृपाल यादव ने रविवार को कहा कि केजरीवाल ने अपनी टिप्पणी से संसद, उसके सदस्यों और मतदाताओं का अपमान किया है। उन्होंने यह भी कहा कि केजरीवाल अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं। इसके साथ ही केंद्र से मांग कर दी कि उन्हें तुरंत राष्ट्रद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया जाए।यादव ने आरोप लगाया कि सामाजिक कार्यकर्ता केजरीवाल विदेशी ताकतों की शह पर देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को अस्थिर व कमजोर करने में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा केजरीवाल ऐसा इस लिए कर रहे हैं क्योंकि अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को लोगों ने अस्वीकार कर दिया है।

Thursday, February 16, 2012

भाजपा सरकार के शासनादेशो को पलटती भाजपा सरकार।


निशंक कार्यकाल में हुए आदेश को खुंडरी ने पलटा।

लोकायुक्त कार्यालय को दी गई जमीन सतर्कता विभाग को यौंपी।

नारायण परगांई।

देहरादून। सरकार के आदेश को परिवर्तित करने का काम नई सरकार के गठन के बाद होता हुआ तो जरूर देखा होगा लेकिन मौजूदा भाजपा सरकार अपने ही शासन मे हुए आदेशो को ही पलटती हुई देखी जा रही है जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाजपा सरकार के भीतर किस तरह का शीतयुद्व लगातार जारी है। ऐसा नही है कि भाजपा के सभी बड़े नेता एकजुट होकर विकास की बात करते हो जबकि भाजपा हाइकमान कई बार भाजपा के उत्तराखण्ड नेताओ को एकजुट रहते हुए विकास पर ध्यान देने की नसीहत दे चुका है। लेकिन इसके बाद भी भाजपा सरकार हाइकमान के आदेशो पर कोई ध्यान नही दे रही। विधानसभा चुनाव का मतदान निपट जाने के बाद चुनाव परिणाम आने से पहले जिस तरह भाजपा के भीतर भीरतघात किए जाने की बातो को लेकर भाजपा हाइकमान के दरबार में उत्त्राखण्ड के नेताओ ने दस्तक दी वह निश्चित रूप से एक दुसरे को नीचा दिखाने के सिवा और कुछ नही थी। उत्तराखण्ड में 2012 के विधानसभा चुनाव में पूरी भाजपा को दांव पर लगाकर जिस तरह खंडूरी है जरूरी का नारा जनता के बीच प्रस्तुत किया गया इसका क्या परिणाम रहेगा यह तो 6 मार्च को मतगणना के बाद तय हो जाएगा लेकिन इस नारे ने उत्त्राखण्ड की भाजपा को एकजुट करने के बजाए बिखराव की ओर बड़ा दिया। राजनैतिक लड़ाई सभी दलो में लगातार सामने आती रहती है लेकिन यदि मौजूदा सरकार के शासनकाल में ही पुराने आदेशो को पलटने का खेल खेला जाना शुरू हो जाए तो यह सरकार के लिए बेहद सोचनीय विषय बन जाता है। गौरतलब है कि बीती 4 मार्च 2011 को प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. निशंक के शासनकाल में ग्राम लाडपुर क्षेत्र में जिला देहरादून में 0.296 हैक्टेयर भूमि लोकायुक्त कार्यालय हेतु शासनादेश संख्या 554 के माध्यम से दिए जाने का शासनादेश जारी किया गया था और पिछले काफी समय से लोकायुक्त का अपना कार्यालय ना हो पाने के कारण कार्यालय खुल जाने की उम्मीदें जाग गई थी। मौजूदा समय में लोकायुक्त कार्यालय उत्त्राखण्ड में मौजूद तो है लेकिन वहां स्थान का अभाव होने के कारण कुछ समस्याएं जरूर खड़ी है लेकिन 11 सितम्बर के बाद उत्त्राखण्ड में पूर्व सीएम निशंक के शासनकाल में हुए कई आदेशो को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के बाद मौजूदा सीएम खंडूरी ने पलटना शुरू कर दिया और लोकायुक्त कार्यालय की जमीन के शासनादेश को दिनांक 14 फरवरी को पलटते हुए लोकायुक्त कार्यालय के लिए दी गई जमीन सतर्कता विभाग उत्त्राखण्ड को एक हैक्टेयर भूमि देने का आदेश जारी कर दिया गया ऐसा नही है कि उत्त्राखण्ड सरकार पूर्व में किए गए कई अन्य आदेशो को भी ना पलटती हुई दिखी हो ऐसे कई आदेश खंडूरी शासनकाल में पलट दिए गए जिन्हे नही पलटा जाना चाहिए था। इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि वर्तमान भाजपा सरकार के भीतर शीतयुद्व काफी तेज गति से चल रहा है। इस तरह के आरोप कांग्रेस भाजपा पर लगाती हुई नजर आती थी लेकिन मौजूदा खंडूरी सरकार ने जिस तरह आदेशो को पलटना शुरू किया है अब कांग्रेस को इस तरह के आरोप लगाने की जरूरत नही आती हुई देखी जा रही यह काम खुद सत्ता में बैठी खंडूरी सरकार करती हुई नजर आ रही है। ऐसे में पुनः सत्ता वापसी का सब्जबाग देखना कहां तक सफल होगा इसका आंकलन खुद ही किया जा सकता है। एक तरफ भाजपा उत्त्राखण्ड में खुडूरी के नेतृत्व में चुूनाव लड़कर पूरी भाजपा को दांव पर लगा बैठा है वही दूसरी तरफ इस तरह के आदेश भाजपा के भीतर ही कई तरह के विवादो को जन्म भी देते हुए नजर आ रहे हैं। कुल मिलाकर सरकार के बाहर मतभेदो की लड़ाई चलने की बातें जो साबित नही हो पाती थी वह खंडूरी के शासनकाल में इा शासनदेश को पलट देने से साबित हो जाती है कि मौजूदा समय में भी खंडूरी निशंक के कार्यकाल में हुए शासनादेश को पलटने का खेल खेलने में लगे हैं।

Monday, January 16, 2012

भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड एक बार फिर मुख्यमंत्री खंडूरी के नेतृत्व मै चुनाव लड़ रही है ये वही खंडूरी हैं जो बीरोंखाल से भागकर कोटद्वार से चुनाव लड़ रहे हैं, आखिर वहाँ की जनता पूछ रही है की हमे दो राहे पैर क्यों छोड़ा आपने, क्या हमारा ये दोष था की जिसे आपने कहा हमने उसे वोट दिया , क्या आप चोबत्ताखाल से क्यों नही चुनाव लड़े ,हम तो यहीं है आप भाग लिए हमे हमारी किस्मत के भरोसे छोडकर, अब कोटद्वार वाले आप पर क्यों भरोसा करे कही आप कुर्सी देखकर उन्हें भी न छोड दें

चुनाव आयोग को ध्त्ता बनाते मीडिया मैनेजर

देहरादून, । 2012 के मिशन को पफतह करने के लिये दिल्ली की चकाचैंध् से उत्तराखण्ड पहुंचे भाजपा व कांग्रेस के मीडिया मैनेजर पांच सितारा होटलों में बैठकर अपने आकाओं को जीत-हार का गणित बताते हुए नजर आ रहे हैं। बंद कमरों में की जा रही इस चुनावी चाल में मीडिया मैनेजरों की बातें कितनी सटीक हैं  इसका आंकलन तो 30 जनवरी को उत्तराखण्ड में होने वाले मतदान के बाद ही जनता का जनादेश मिलने के बाद ही पता चल पाएगा लेकिन इन पांच सितारा होटलों में बैठकर जिस तरह से मीडिया मैनेजर पार्टियों के पैसों को भारी मात्रा में खर्च कर रहे हैं उस पर चुनाव आयोग की नजरें इनायत क्यों नहीं हो रही।  उत्तराखण्ड में एक प्रत्याशी 11 लाख  रूपये की  ध्नराशि ही चुनावी खर्च में खर्च कर सकता है लेकिन चुनाव आयोग रोजाना होने वाली इन बैठकों पर ध्यान  देता हुआ नजर नहीं आ रहा। रोजाना राजनैतिक दलों के मीडिया मैनेजर पार्टी पफंड से हजारों रूपये पानी की तरह बहा रहे हैं और यह सिलसिला पिछले एक सप्ताह से भी अध्कि समय होने के चलते लगातार जारी है। दिल्ली से कांग्रस के एक मीडिया मैनेजर इन दिनों राजधनी के एक बड़े होटल में बैठकर अपने आकाओं को जीत-हार का गणित जिस तरह से कुछ चाटुकार मीडिया लोगों के माध्यम से कराने में लगे हैं उनमें कितनी हकीकत है  इसका आंकलन करना बेहद मुश्किल भरा काम है। चुनाव आयोग एक तरपफ प्रत्याशियों के हर कार्यक्रम व चुनावी खर्च की नजर मजबूती के साथ रख रहा है। लेकिन बंद कमरों में रोजाना होने वाली इन दावतों का जिक्र न तो राजनैतिक अपने  चुनावी खर्च में करते हुए देखे जा रहे हैं और न ही चुनाव आयोग इन  पर रोक लगाने की कार्रवाई करता हुआ नजर आ  रहा है। रोजाना किये जा रहे इस हजारों रूपये के ध्न का हिसाब चुनाव आयोग किस राजनैतिक दल से लेगा इसको लेकर भी उंगलियां उठनी शुरू हो गई है।  राजनैतिक गलियारों में चर्चा आम हो गई है कि एक तरपफ तो चुनाव आयोग राज्य में बाहर से आने वाले काले ध्न पर लगातार अपना शिकंजा कसता जा रहा है वहीं दूसरी तरपफ इस तरह की होने वाली दावतों पर कोई रोक नहीं लगाई जा रही। जिससे लोकतंत्रा में निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न हो इसे लेकर शंसय के बादल मंडराते दिख रहे हैं। माना जा रहा है कि इस तरह के घटना क्रम पर यदि शीघ्र ही  रोक नहीं लगाई गई तो इसके खतरनाक परिणाम भी सामने आ सकते हैं।  सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राजपुर रोड, सुभाष रोड, त्यागी रोड, हरिद्वार रोड, चकराता रोड के साथ-साथ कई अन्य स्थानों पर भी रोजाना होटलों के बंद कमरों में दावतों का जोर लगातार जारी है लेकिन इन स्थानों की जानकारी निर्वाचन आयोग को लगती हुई नजर नहीं आ रही। इन होटलों में रूकने वाले लोगों की पहचान अगर की जाए तो कई राजनैतिक चेहरों के साथ-साथ कई बड़े लोग बेपर्दा हो सकते हैं।

Wednesday, January 4, 2012

सभी पार्टियों में बगावती तेवर दिखा रहे हैं नेता


देहरादून  राजनीति में पार्टी के प्रति निष्ठा कोई मायने नहीं रखती, थोड़ी सी उपेक्षा क्या हुई, बड़े से बड़े नेता भी बगावत का झंडा थाम लेते हैं। कुछ यही हाल आजकल उत्तराखंड की राजनीति में भी आया हुआ है। वह चाहे कांग्रेसी दिग्गज नारायण दत्त तिवारी हों या फिर टिकट कटने से आहत भाजपाई, जगह-जगह बगावत के झंडे दिखाई दे रहे हैं। कोई समर्थकों के दबाव की बात कह रहा है तो कुछ ने पार्टी से इस्तीफा ही दे दिया है।
सभी पार्टियों में बगावती तेवर दिखा रहे हैं नेता
शुरुआत टिकट से वंचित रह गए भाजपा नेताओं से। जिन नेताओं को टिकट नहीं मिला है, वो बगावत की राह में निकल चुके हैं। कुछ दावेदार चुपचाप दोबारा से सेटिंग करने में जुट गए हैं, लेकिन कुछ ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया है। कैबिनेट मंत्री खजानदास को उम्मीद थी कि पार्टी उन्हें राजपुर रोड से चुनावी मैदान में उतारेगी लेकिन उनका तो पत्ता ही साफ हो गया। अब वह इससे काफी आहत हैं और खुलकर बोल भी रहे हैं। उन्होंने इसे साजिस कहा है। वह इस मामले में मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी, पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी, प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल से मिलकर अपना विरोध दर्ज कराएंगे। इसी मुद्दे पर उनके समर्थकों ने प्रदेश मुख्यालय पर हंगामा भी किया।
इसी तरह कर्णप्रयाग के विधायक अनिल नौटियाल, सहसपुर विधायक राजकुमार, कोटद्वार विधायक शैलेंद्र सिंह रावत के समर्थकों ने खुलेआम पार्टी के निर्णय के विरोध में प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है। इन सभी ने भी बगावती तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। दिवाकर भट्ट को पार्टी सिंबल से लड़ाने का विरोध हो रहा है। उधर अल्मोड़ा में जिलाध्यक्ष समेत 216 पदाधिकारियों ने अपना सामूहिक इस्तीफा पार्टी को भेज दिया है। बागेश्वर व कपकोट में भी विरोध के स्वर सुनाई दे रहे हैं। जिन सीटों पर प्रत्याशी घोषित नहीं हुए हैं, वहां भी दावेदार आशंकित हैं और सभी परिस्थितियों की तैयारी कर रहे हैं।
दूसरी तरफ कांग्रेस में सूची जारी होने से पहले ही मुश्किल खड़ी हो गई है। तिवारी समर्थकों ने निरंतर विकास समिति के बैनर तले पूरे प्रदेश में सभी 70 सीटों में चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। अब कांग्रेस एनडी तिवारी को समझाने-बुझाने में जुट गई है। प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद कांग्रेस में भी कई बगावती नेता दिखाई दे सकते हैं।

सोनिया गांधी का हल्द्वानी दौरा रद्द


हल्द्वानीसोनिया गांधी का हल्द्वानी दौरा रद्द हो गया है। कोहरे की वजह से वह रैली में शामिल नहीं हो सकी। यह दूसरी बार है जब सोनिया गांधी का उत्तराखंड दौरा रद्द हुआ है। पिछली बार वह गौचर की रैली में शामिल नहीं हो सकी थी। उस समय उनके स्वास्थ्य की वजह से वह दौरा नहीं हो सका था, इस बार मौसम ने बीच में अड़चन पैदा कर दी।सोनिया गांधी की रैली पहले रुद्रपुर में होनी थी, बाद में इसे हल्द्वानी शिफ्ट कर दिया गया था। कांग्रेसी नेताओं ने इसके लिए काफी तैयारी भी की थी और अच्छी खासी भीड़ रैली में जुटा भी ली थी। लेकिन अंतिम समय में कोहरे की वजह से यह दौरा रद्द करना पड़ा। माना जा रहा था कि रैली के सफल आयोजन के बाद ही उत्तराखंड विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस की सूची जारी की जाएगी। अब देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस की सूची कब तक जारी होगी।

डॉन से मिलने पहुंचा नेता कौन!

डॉन से मिलने पहुंचा नेता कौन! हल्द्वानी। हल्द्वानी जेल में अंडरवर्ल्ड डॉन प्रकाश पांडे उर्फ पीपी से मिलने यूकेडी नेता के पहुंचने से पुलिस में खलबली मची है। हालांकि परमीशन नहीं होने से जेल प्रशासन ने यूकेडी नेता को पीपी से मिलने नहीं दिया। पुलिस यूकेडी नेता कहां का है, इसकी खोजबीन में जुट गई है। सुरक्षा की दृष्टि से पीपी को एकांत वार्ड में कड़ी निगरानी के बीच रखा गया है।हल्द्वानी कोर्ट के आदेश पर 24 दिसंबर को डॉन प्रकाश पांडे को हल्द्वानी जेल में शिफ्ट किया गया। इससे पहले पीपी तिहाड़ जेल में बंद था। पीपी को चार जनवरी को फिर से हल्द्वानी कोर्ट में पेश करने की वजह से यहां की जेल में रखा गया है। हालांकि हल्द्वानी की उप कारागार असुविधाओं से जूझ रही है। जेल में सुरक्षा व्यवस्था भी राम भरोसे है। उसके बावजूद पीपी को यहां रखा गया है। पीपी के जेल में शिफ्ट होने से जेल प्रशासन सुरक्षा को लेकर खासा चिंतित है। सुरक्षा की दृष्टि से जेल प्रशासन ने पीपी को एकांत वार्ड में रखा है। वार्ड की निगरानी के लिए कई बंदी रक्षकों को लगाया गया है। बुधवार को एक यूकेडी नेता पीपी से मिलने के लिए जेल पहुंचा। इस दौरान जेल प्रशासन ने बिना परमीशन के मिलने की इजाजत नहीं है का हवाला देकर उसे लौटा दिया, मगर जेल में पीपी से मिलने एक नेता के पहुंचने से पुलिस में खलबली मची है। चुनाव सिर पर है। नेता पीपी से क्यों मिलना चाहता था, यूकेडी नेता कहां का है, पुलिस ने ऐसे सवालों की खोजबीन शुरू कर दी है। जेल में किसी कैदी से मिलने के लिए उसे सिटी मजिस्ट्रेट से परमीशन लेकर आना पड़ता है, मगर यूकेडी नेता अनुमति लिए बिना पीपी से मिलने जेल तक पहुंच गया।