Sunday, February 26, 2012

केजरीवाल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव!

नई दिल्ली। संसद को अपराधियों का अड्डा बताने वाले अन्ना हजारे के सहयोगी अरविंद केजरीवाल के खिलाफ राजनीतिक दलों ने तीखा हमला बोला है। अपने मतभेदों को भुलाकर सभी पार्टियों ने कहा है कि केजरीवाल की घृणित टिप्पणी से यह पता चलता है कि उनका लोकतंत्र में विश्वास नहीं है। वहीं राजद केजरीवाल के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है।कांग्रेस के प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा कि यह संसद का अपमान है। यह इस देश की जनता का अपमान है, जो सांसदों और विधायकों को चुनकर भेजती है। ऐसे बयानों से लोकतंत्र कमजोर होता है। ऐसे लोगों का प्रचार नहीं करना चाहिए। संसद में ऐसे लोगों का बहुमत है जो इस देश के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। वे सभी वहां कड़ी मेहनत से पहुंचे हैं।भाजपा ने केजरीवाल के बयान पर आक्रोश जताते हुए कहा कि कुछ लोग खुद को ईमानदार के रूप में पेश करने की कोशिश में यह एहसास कराते हैं कि पूरी दुनिया बेईमान हैं। इससे पता चलता है कि उन्हें संविधान और लोकतंत्र में भरोसा नहीं है। पार्टी के महासचिव मुख्तार अब्बास नकवी ने यह स्वीकार किया कि संसद में कुछ लोगो दागी हो सकते हैं, लेकिन इसके लिए आप संसदीय प्रणाली या लोकतांत्रिक व्यवस्था को खत्म नहीं कर सकते।लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष रामविलास पासवान ने कहा है कि यह लोकतंत्र पर हमला है। यह उन लोगों की मानसिकता का परिचायक है। पासवान ने उन नेताओं को भी आड़े हाथ लिया, जिन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्न हजारे के आंदोलन में उनके साथ मंच साझा किया था।गौरतलब है कि उत्तार प्रदेश के गाजियाबाद में शनिवार को एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा था कि इस संसद में 163 सदस्यों पर जघन्य अपराध के मामले हैं। इस संसद में बलात्कारी, लुटेरे और हत्यारे बैठे हैं। आप कैसे उम्मीद करते हैं कि यह संसद जन लोकपाल बिल को पारित कर देगी? आपको गरीबी और भ्रष्टाचार से मुक्ति दिला देगी?केजरीवाल के बयान पर बाबा रामदेव ने कोच्चि में कहा कि केजरीवाल के शब्दों और भाषा पर आपत्तिहो सकती है लेकिन उन्होंने जो कहा है, वह बिल्कुल सही है। अगर हम सांसद चुन सकते हैं तो उनके खिलाफ भी बोल सकते हैंटीम अन्ना के सदस्य अरविंद केजरीवाल के खिलाफ राष्ट्रीय जनता दल संसद के बजट सत्र में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाएगा। राजद यह प्रस्ताव केजरीवाल के सांसदों के ऊपर दिए गए गैरवाजिब टिप्पणी पर लाएगा।पार्टी महासचिव राम कृपाल यादव ने रविवार को कहा कि केजरीवाल ने अपनी टिप्पणी से संसद, उसके सदस्यों और मतदाताओं का अपमान किया है। उन्होंने यह भी कहा कि केजरीवाल अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं। इसके साथ ही केंद्र से मांग कर दी कि उन्हें तुरंत राष्ट्रद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया जाए।यादव ने आरोप लगाया कि सामाजिक कार्यकर्ता केजरीवाल विदेशी ताकतों की शह पर देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को अस्थिर व कमजोर करने में लगे हुए हैं। उन्होंने कहा केजरीवाल ऐसा इस लिए कर रहे हैं क्योंकि अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को लोगों ने अस्वीकार कर दिया है।

Thursday, February 16, 2012

भाजपा सरकार के शासनादेशो को पलटती भाजपा सरकार।


निशंक कार्यकाल में हुए आदेश को खुंडरी ने पलटा।

लोकायुक्त कार्यालय को दी गई जमीन सतर्कता विभाग को यौंपी।

नारायण परगांई।

देहरादून। सरकार के आदेश को परिवर्तित करने का काम नई सरकार के गठन के बाद होता हुआ तो जरूर देखा होगा लेकिन मौजूदा भाजपा सरकार अपने ही शासन मे हुए आदेशो को ही पलटती हुई देखी जा रही है जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाजपा सरकार के भीतर किस तरह का शीतयुद्व लगातार जारी है। ऐसा नही है कि भाजपा के सभी बड़े नेता एकजुट होकर विकास की बात करते हो जबकि भाजपा हाइकमान कई बार भाजपा के उत्तराखण्ड नेताओ को एकजुट रहते हुए विकास पर ध्यान देने की नसीहत दे चुका है। लेकिन इसके बाद भी भाजपा सरकार हाइकमान के आदेशो पर कोई ध्यान नही दे रही। विधानसभा चुनाव का मतदान निपट जाने के बाद चुनाव परिणाम आने से पहले जिस तरह भाजपा के भीतर भीरतघात किए जाने की बातो को लेकर भाजपा हाइकमान के दरबार में उत्त्राखण्ड के नेताओ ने दस्तक दी वह निश्चित रूप से एक दुसरे को नीचा दिखाने के सिवा और कुछ नही थी। उत्तराखण्ड में 2012 के विधानसभा चुनाव में पूरी भाजपा को दांव पर लगाकर जिस तरह खंडूरी है जरूरी का नारा जनता के बीच प्रस्तुत किया गया इसका क्या परिणाम रहेगा यह तो 6 मार्च को मतगणना के बाद तय हो जाएगा लेकिन इस नारे ने उत्त्राखण्ड की भाजपा को एकजुट करने के बजाए बिखराव की ओर बड़ा दिया। राजनैतिक लड़ाई सभी दलो में लगातार सामने आती रहती है लेकिन यदि मौजूदा सरकार के शासनकाल में ही पुराने आदेशो को पलटने का खेल खेला जाना शुरू हो जाए तो यह सरकार के लिए बेहद सोचनीय विषय बन जाता है। गौरतलब है कि बीती 4 मार्च 2011 को प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. निशंक के शासनकाल में ग्राम लाडपुर क्षेत्र में जिला देहरादून में 0.296 हैक्टेयर भूमि लोकायुक्त कार्यालय हेतु शासनादेश संख्या 554 के माध्यम से दिए जाने का शासनादेश जारी किया गया था और पिछले काफी समय से लोकायुक्त का अपना कार्यालय ना हो पाने के कारण कार्यालय खुल जाने की उम्मीदें जाग गई थी। मौजूदा समय में लोकायुक्त कार्यालय उत्त्राखण्ड में मौजूद तो है लेकिन वहां स्थान का अभाव होने के कारण कुछ समस्याएं जरूर खड़ी है लेकिन 11 सितम्बर के बाद उत्त्राखण्ड में पूर्व सीएम निशंक के शासनकाल में हुए कई आदेशो को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के बाद मौजूदा सीएम खंडूरी ने पलटना शुरू कर दिया और लोकायुक्त कार्यालय की जमीन के शासनादेश को दिनांक 14 फरवरी को पलटते हुए लोकायुक्त कार्यालय के लिए दी गई जमीन सतर्कता विभाग उत्त्राखण्ड को एक हैक्टेयर भूमि देने का आदेश जारी कर दिया गया ऐसा नही है कि उत्त्राखण्ड सरकार पूर्व में किए गए कई अन्य आदेशो को भी ना पलटती हुई दिखी हो ऐसे कई आदेश खंडूरी शासनकाल में पलट दिए गए जिन्हे नही पलटा जाना चाहिए था। इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि वर्तमान भाजपा सरकार के भीतर शीतयुद्व काफी तेज गति से चल रहा है। इस तरह के आरोप कांग्रेस भाजपा पर लगाती हुई नजर आती थी लेकिन मौजूदा खंडूरी सरकार ने जिस तरह आदेशो को पलटना शुरू किया है अब कांग्रेस को इस तरह के आरोप लगाने की जरूरत नही आती हुई देखी जा रही यह काम खुद सत्ता में बैठी खंडूरी सरकार करती हुई नजर आ रही है। ऐसे में पुनः सत्ता वापसी का सब्जबाग देखना कहां तक सफल होगा इसका आंकलन खुद ही किया जा सकता है। एक तरफ भाजपा उत्त्राखण्ड में खुडूरी के नेतृत्व में चुूनाव लड़कर पूरी भाजपा को दांव पर लगा बैठा है वही दूसरी तरफ इस तरह के आदेश भाजपा के भीतर ही कई तरह के विवादो को जन्म भी देते हुए नजर आ रहे हैं। कुल मिलाकर सरकार के बाहर मतभेदो की लड़ाई चलने की बातें जो साबित नही हो पाती थी वह खंडूरी के शासनकाल में इा शासनदेश को पलट देने से साबित हो जाती है कि मौजूदा समय में भी खंडूरी निशंक के कार्यकाल में हुए शासनादेश को पलटने का खेल खेलने में लगे हैं।