Wednesday, May 23, 2012

किरन चंद मण्डल ने सौंपा विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीपफा



देहरादून। भजपा विधयक किरन मंडल का कई दिनों से चल रहा लुकाछुपी का खेल आखिरकार आज खत्म हो गया। विधयक पद से इस्तीपफा देने के बाद किरन मंडल ने विधनसभा अध्यक्ष गोविन्द सिंह कंुजवाल के आवास पर कहा कि कांग्रेस बंगाली समुदाय को अध्किार देने के साथ-साथ उनकी मांगों पर खरा उतरी है और समुदाय की मांगों के कारण ही उन्होंने विधयक पद से अपनी कुर्बानी दी है।
दोपहर बाद दिल्ली से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य व भूपेश उपाध्याय के साथ विशेष विमान से देहरादून पहंुचने के बाद शाम करीब चार बजे भाजपा विधयक किरन मंडल ने विधनसभा अध्यक्ष के आवास पर कई नेताओं की मौजूदगी में अपना त्यागपत्रा सौंप दिया। पिछले कई दिनों से भाजपा विधयक को लेकर प्रदेश में राजनैतिक समीकरण बिगड गये थे और भाजपा ने कांग्रेस पर विधयक का अपहरण किये जाने का आरोप लगाते हुए इसे लोकतंत्रा की हत्या तक करार दे दिया था और बीते दिवस राज्यपाल ए कुरैशी से मुलाकात करने के बाद नेता प्रतिपक्ष अजय भटट व प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुपफाल ने जांच की मांग भी की थी लेकिन आज विधयक पद के इस्तीपफा देने के बाद भाजपा आसमंजस की स्थिति में नजर आ रही है। विधयक के इस्तीपफा देने के बाद अब इस सीट पर उप चुनाव किया जाना तय है लेकिन इस सीट से कौन चुनाव लडेगा यह पफैसला अभी नहीं हो पाया है।

..मर जाता तब खुलती साहब की नींद!

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देहरादून। खाकी में चंद अधिकारियों का एक चेहता हेडकांस्टेबल राजधानी में इतना बैखौफ हो रखा है कि उसे हर अपराध माफ है। कितनी बड़ी शर्म की बात है कि जिस हेडकांस्टेबल ने एक युवती के साथ अश्लीलता की और उसकी जांच हुई लेकिन हेडकांस्टेबल का कुछ नहीं बिगड़ा। इसी के चलते वह इतना निडर हो गया कि पैसे वसूलने के लिए वह किसी को भी रास्ते से उठाकर थाने व चैकियों में हैवान की तरह उन्हें पीटने लगा। सवाल उठता है कि हाल में जिस युवक को हेडकांस्टेबल व सिपाही ने कैण्ट कोतवाली के अंदर हैवानों की तरह पीटा, अगर वह थाने में मर जाता तो क्या तक साहब की आंख खुलती, क्योंकि जिस तरह से कैण्ट कोतवाली प्रभारी को इस मामले में क्लीन चिट दी गई, उससे सवाल उठ खड़े हुए है कि जिस कोतवाल की कोतवाली में हैवानियत का नंगा नाच हुआ उस समय आखिरकार कोतवाल कहां सो रहा था? हेडकांस्टेबल की हैवानियत पुलिस कप्तान के सामने आई तो उन्होंने भी हैवान हेडकांस्टेबल व पुलिसकर्मी को लाईन हाजिर कर मामले की जांच उस सीओ के हवाले कर दी जिस पर आरोप है कि वह अक्सर इस हेडकांस्टेबल को बचाने की मुहिम में आगे रहता है।
कैण्ट थाने में चंद दिन पूर्व नींबू वाला निवासी डिंपल को कैण्ट कोतवाली के हेडकांस्टेबल अजय शाह व उसके एक साथी ने हफ्ता न देने पर थाने के अंदर हैवान की तरह पीटा और जब इस मामले में उबाल आया तो हर बार की तरह हेडकांस्टेबल को लाईन हाजिर करने का ड्रामा किया गया। सवाल उठता है कि कुछ समय पूर्व भी यह हेडकांस्टेबल एक व्यक्ति को यातनाएं देने पर लाईन हाजिर हुआ था लेकिन कप्तान का पद संभालते ही मैडम ने हेडकांस्टेबल व लाईन हाजिर हुए पुलिसकर्मियों को बहाल कर उन्हें कुछ भी करने की खुली छुट दे डाली। पुलिस महकमंे में सवाल उठ रहे है कि आखिरकार कुछ अधिकारी क्यों इस हेडकांस्टेबल को पहाड़ी जनपद में तैनात करने से बच रहे है क्योंकि लाईन हाजिर विभाग में एक नौटंकी माना जाता है और चंद समय बाद ही उसे किसी अन्य स्थान पर तैनात कर दिया जाता है। आज इस मामले की शिकायत दिल्ली मानवाधिकार आयोग में भी पीड़ित पक्ष ने कर दी है। यहां यह उल्लेखनीय है कि एक ओर तो पुलिस कप्तान जनता व पुलिस के बीच समनवय कायम करने का दावा कर रही है। वहीं खाकी में कुछ लोग आवाम के साथ हैवानियत कर रहे है।



मुख्यमंत्री चुनाव लड़ने का ग्रीन सिग्नल हाईकमान को नहीं दिखा रहे

देहरादून। उत्तराखण्ड में भाजपा के हथियार से कांग्रेस ने जिस तरह से पलटवार किया है। उससे प्रदेश की राजनीति में भाजपा कई चैराहों पर खड़ी हुई नजर आ रही है। भाजपा विधायक किरन मंडल ने अभी अधिकारिक रूप से भाजपा को अलविदा कहकर कांग्रेस का दामन नहीं थामा है। लेकिन जिस तरह की परिस्थतियां उत्पन्न हो चुकी है। और भाजपा नेताओं के बयान आ रहे है। उससे ऐसा लगता है कि अब किरन मंडल भाजपा को छोड़कर कांग्रेस का दामन थामने के बाद राजनैतिक जीवन शुरू करेंगे। बंगाली समुदाय की मांगों को पूरा किए जाने का आश्वासन मिलने के साथ-साथ देर शाम होने वाली कैबिनेट की बैठक में इस पर मोेहर लगनी तय मानी जा रही है और कैबिनेट के फैसले के बाद भाजपा विधायक किरन मंडल गुरूवार को अपने विधायक पद से इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को सौंप सकते है।
पिछले दस दिनांे से प्रदेश में राजनैतिक समीकरण इस तरह बदल गए है कि अब भाजपा भी सरकार बनाने के खवाब देखती हुई नजर आ रही है। लेकिन इस बात की संभावनाएं बहुत कम है कि कांग्रेस का कोई विधायक भाजपा के दामन में जाकर सरकार के खिलाफ बगावत का बीज बो सके। दिल्ली से कांग्रेस के कंेन्द्रीय नेता हरीश रावत को बयान सरकार के पक्ष में आने के बाद उनके सुर भी विजय बहुगुणा के साथ जा मिले है और उन्होंने उत्तराखण्ड में पांच साल तक कांग्रेस सरकार के चलने की बाते कही है। रातोंरात सितारगंज सीट को कांग्रेस के कुछ नेताओं द्वारा उसे हाॅट बना दिया गया है। लेकिन उस सीट से किरनमंडल के इस्तीफा देने के बाद वहां से कौन चुनाव लड़ेगा इस पर संश्य अभी बरकरार है। लेकिन इस सीट से मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के चुनाव लड़ने की बातें भी सामने आ रही थी। लेकिन बीते दिवस दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान के समाने मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने उपचुनाव लड़ने वाली विधानसभा का नाम नहीं खोला है और वर्तमान में सरकार के बजट सत्र को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई है। बहुगुणा सरकार का यह पहला बजट सत्र जनता के बीच कितना प्रभावशाली होगा। इसकी कार्यकुशलता भी देखने लायक होगी। इसी को ध्यान में रखकर अभी मुख्यमंत्री उपचुनाव की सीट का फैसला लेने के मूड में नहीं दिख रहें। लेकिन कांग्रेस का एक वर्ग बंगाली समुदाय की इस विधानसभा से मुख्यमंत्री को उपचुनाव लड़वाने के लिए तैयारी में जुटा है और उसका मानना है कि यदि मुख्यमंत्री इस सीट विधानसभा का चुनाव लड़ते है तो यहां से जीत का आंकड़ा 50 हजार के करीब पंहुच सकता है। लेकिन इस सीट से मुख्यमंत्री चुनाव लड़ने का ग्रीन सिग्नल हाईकमान को नहीं दिखा रहे है और अन्य विधानसभाओं जिनमें विकासनगर, यमनोत्री के साथ-साथ अन्य सीटों पर भी मंथन किया जा रहा है। राजनैतिक विश्लेषक यह भी मानकर चल रहें है कि मुख्यमंत्री का उपचुनाव जीत का आंकड़ा बढ़ाता है। तो इसका असर आगामी होने वाली स्थानीय चुनाव के साथ-साथ कांग्रेस को भी फायदा पहंुच सकता है। 
उपचुनाव जीतने के साथ-साथ सरकार पांच साल तक चलाने की जिम्मेदारी भी मुख्यमंत्री को परेशानी डालती हुई नजर आ रही है और वर्तमान में कांग्रेस सरकार बसपा, उक्रांद व निर्दलीय विधायकों के सहारे बैसाखियों पर टिकी हुई है। जिस कारण कांग्रेस भाजपा के अन्य विधायकोें को भी इस्तीफा दिला कर मजबूत सरकार बनाना चाहती है। जिससे बैसाखियों की जरूरत न पड़ सके। हालांकि एक विधायक से इस्तीफा दिलाने के बाद वहां उपचुनाव के चलते राजनैतिक समीकरण किसके पक्ष में रहेंगे इसे लेकर भी भाजपा व कांग्रेस मंथन में जुटे हुए है। माना जा रहा है कि आने वाले कुछ दिनांे में उत्तराखण्ड में राजनैतिक समीकरण का ऐसा खेल राजनीति की बिसात पर खेला जायेगा। जिसके परिणाम काफी अचंभित भरे हो सकते है। भाजपा अभी राज्यपाल के यहां दस्तक दे कर सरकार पर दबाव बनाती हुई दिख रही है। लेकिन सदन के भीतर किस तरह से सरकार से लड़ेगी। इसकी रूपरेखा तय नहीं कर पाई है। नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद अजय भट्ट के खिलाफ अंदर खाने विरोध की आग कम नहीं हुई हैै और अब सदन के भीतर भाजपा को फेल करने ककी कोशिश भी होती हुई नजर आ रही है।

मौत का सफर बनती चार धाम यात्रा


नौसिखिए ड्राईवर के सहारे चार धाम यात्रा
देहरादून, चार धाम यात्रा के शुरूआती पड़ाव में ही
यात्रा मार्ग पर यात्रियों की कब्रगाह बनती देवभूमि से पर्यटकों का आना
कम हो सकता है। लगातार बढ़ती जा रही दुर्घटनाओं के कारण यात्रियों की भारी
भीड़ अब देवभूमि के चार धाम यात्रा पर आने से पहले अपनी मौत को लेकर
आशंकित से नजर आ रहे हैं। चार धाम यात्रा पर हर साल लाखों की संख्या में
देश व विदेश के पर्यटकों का हुजूम उमड़ता है, लेकिन यात्रा मार्ग की
सुरक्षा को लेकर जिस तरह से अधिकारियों ने बसों को भारी मात्रा में
ओवरलोड़ करने की परमिशन दे रखी है वह दुर्घटनाओं को दावत देती हुई नजर आ
रही है। चार धाम यात्रा में मंगलवार को हुई बस दुर्घटना ने साबित कर दिया
कि चार धाम यात्रा में आने वाले यात्रि सुरक्षित नहीं है। प्रदेश के
मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने चार धाम यात्रा में आने वाले पर्यटकों को
सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ-साथ सुरक्षा के भी समूचित प्रबंध करने
के निर्देश संबंधित अधिकारियों को ऋषिकेश में चार धाम यात्रा की शुरूआत
के समय दिए थे, लेकिन उन निर्देशों का कोई पालन अधिकारियों द्वारा नहीं
किया गया है। जिस कारण चार धाम यात्रा से लौट रही बस दुर्घटनाग्रस्त होने
के साथ-साथ यात्रा मार्ग की अब तक की सबसे बड़ी दुर्घटना बन गई है।
पर्वतीय क्षेत्रों में बसों के गिरने का सिलसिला जिस तरह से बढ़ता जा रहा
है, उससे यात्रा मार्ग पर जाने वाले पर्यटक भी अब देवभूमि की तरफ कम
संख्या में रूख करते हुए देखे जा सकते हैं। जिस कारण पर्यटन के साथ-साथ
उत्तराखण्ड सरकार को राजस्व की भारी हानि उठानी पड़ सकती है। एक तरफ राज्य
सरकार उत्तराखण्ड के पर्यटक स्थलों को विकसित करने के साथ-साथ राजस्व में
इजाफा करने की बात कह रही है, वहीं दूसरी तरफ यात्रा मार्गों पर सुरक्षा
व्यवस्था पर्यटकों के अनुरूप न होने के चलते पर्वतीय क्षेत्रों में वाहन
दुर्घटनाग्रस्त होते जा रहे हैं। मंगलवार को हुई बस दुर्घटना के क्या
कारण रहे इस बारे में जांच करने के बाद ही तथ्य उभरकर सामने आ सकते हैं,
लेकिन जिस तरह से मैदानी क्षेत्रों में वाहनों को चलाने वाले चालकों को
यात्रा मार्ग पर बिना जांच पड़ताल के भेजा जा रहा है, जिससे इस तरह की
घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। चालक की लापरवाही के कारण या फिर पर्वतीय
क्षेत्रों में अनुभव की कमी के चलते पर्यटक मौत के मुंह में भेजे जा रहे
हैं और इससे राज्य सरकार के साथ-साथ उत्तराखण्ड के पर्यटन पर भी प्रतिकूल
प्रभाव पड़ रहा है यदि समय रहते इस तरह की घटनाओं पर लगाम नहीं लगाई गई तो
वह दिन दूर नहीं जब दूर-दराज से आने वाले पर्यटक उत्तराखण्ड की चार धाम
यात्रा पर आने से कतराते हुए नजर आएंगे। ट्रैवल एजेंसियां भी इस
दुर्घटनाओं में सबसे बड़ा कारण बनकर सामने आ रही हैं और अपनी कमाई के लालच
में अनुभवहीन चालकों को पर्वतीय क्षेत्रों में भेजकर जिस तरह से यात्राएं
पर्यटकों को करवाई जा रही है, वह किसी मौत के सफर से कम नहीं। प्रदेश में
पिछले कई वर्षों में सैकड़ों लोग दुर्घटनाओं के चलते मौत के मंुह में समा
चुके हैं और अधिकतर घटनाएं बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों के कारण ही
घटित होती हुई प्रकाश में आई है।

सीएम ने जाना घायलों का हाल


देहरादून  मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा बुधवार को दिल्ली
से देहरादून लौटते समय जौलीग्रांट हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद
जौलीग्रांट हिमालयन इंस्टीट्यूट में पहुंचकर विगत दिवस व्यासी में हुई बस
दुर्घटना में गम्भीर रूप से घायल यात्रियों का हालचाल पूछा। उन्होने
गम्भीर रूप से घायल 2 यात्रियों से उनकी कुशल क्षेम पूछी तथा आईसीयू में
भर्ती महिला यात्री को भी जाकर देखा तथा डॉक्टरों से उनके इलाज के बारे
में जानकारी प्राप्त की।
मुख्यमंत्री ने हिमालयन इंस्टीट्यूट के निदेशक विजय धस्माना को घायलों का
बेहतर इलाज करने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि घायलों के इलाज
पर होने वाला पूरा खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जायेगा। डॉक्टरों ने
बताया कि दोनों गम्भीर पुरूष यात्री अब खतरे से बाहर हैं तथा महिला
यात्री, जो कि आईसीयू में भर्ती है भी खतरे से बाहर है। मुख्यमंत्री ने
मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनका मध्य प्रदेश की सरकार के साथ सम्पर्क
बना हुआ है तथा राज्य सरकार यात्रियों की देखभाल में कोई कसर नही रखेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारियों को निर्देश दिये गये है कि चारधाम
यात्रा पर जाने वाले सभी वाहनों का फिटनेस चैकिंग गंभीरता से की जाय और
यदि इस कार्य में लापरवाही पायी, तो उनके विरूद्ध सख्त कार्यवाही की
जायेगी।

उत्तराखंड में 15 दिन देर से आएगा मानसून!


देहरादून उत्तराखंड में इस बार भी मानसून में 15 दिन
विलंब होगा। कम से कम 30 जून तक लोगों को इंतजार करना होगा। यही नहीं जिस
तरह मौसम का मिजाज चल रहा है, उससे मानसून के पूर्व होने वाली प्री
मानसून की वर्षा की कोई संभावना फिलहाल नहीं है। जून के अंतिम पखवाड़े तक
लोगों को लू के थपेड़े झेलने पड़ेंगे। जिसकी शुरुआत हो चुकी है। मानसून और
प्री-मानसून का यह खेल मौसम चक्र प्रभावित होने की वजह से बन रहा है।
अक्तूबर और दिसंबर में बारिश हो जाती तो उसका कुछ लाभ मिल जाता। यही नहीं
जनवरी से अब तक भी औसत के अनुपात में बारिश नहीं हो सकी। जिससे तापमान
में चढ़ाव का क्रम जारी है। नमी कम होने से पश्चिम दिशा से चलने वाली हवा
सूर्य के तेज की वजह से लू के थपेड़े में परिवर्तित हो रही है। यही नहीं
एक दिन में दो दिशा से हवा चल रही है। सुबह पश्चिम-पूरब-पश्चिम दिशा से
चलने वाली हवा दोपहर होते ही पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा में परिवर्तित हो
रही है। आम तौर से पश्चिम-उत्तर-पश्चिम दिशा से चलने वाली हवा में गर्मी
लिए होती है। इसलिए कि यह हवा मध्य भारत की ओर से चलती है। इन्हीं वजह से
क्षेत्रीय प्रभाव की वजह से बनने वाला मौसम भी प्रभावित हो रहा है।
मानसून के पूर्व होने वाली प्री मानसून की बारिश भी प्रभावित हो सकती है।
इसलिए प्री मानसून की वर्षा में क्षेत्रीय प्रभाव और पश्चिमी विक्षोभ के
मिश्रित प्रभाव होता है। मौसम विभाग ने पूर्व में ही 15 जून से 15 सितंबर
तक चलने वाले मानसून सत्र में औसत बारिश की संभावना जता दी है। यदि
मानसून सत्र पर गौर करें तो पिछले 12 साल का गोविंद वल्लभ पंत कृषि
विश्वविद्यालय में जो आंकड़ा है उस आधार पर 27 से 30 जून तक उत्तराखंड में
मानसून की दस्तक होती है। जबकि देश के अन्य राज्यों में 15 जून से मानसून
सक्रिय होता है। इसी आधार पर इस बार भी 30 जून तक मानसून की दस्तक की
संभावना है। उससे पहले लोकल सिस्टम और पश्चिम विक्षोभ अगर सक्रिय हो गया
तो आंशिक बारिश हो सकती है।

लाखों खर्च कर भी सरकार नहीं बना पाई किसी को अफसर


देहरादून ।समाज ल्याण विभाग लाखों रूपये खर्च कर सरकार
अनुसूचित जाति के मेधावी छात्रों को सिविल सर्विसेज की परीक्षाओं की
तैयारी कराने के लिए कोचिंग की सुविधा उपलब्ध कराता है। हाल के वर्षों
में सरकार ने इस पर लाखों रुपये तो खर्च कर दिए, लेकिन एक भी छात्र का
चयन सिविल सर्विसेज में नहीं हो पाया। विभाग अफसर नहीं बना पाया तो बाबू
बनाने पर ध्यान केंद्रित किया और कोचिंग योजना से समूह ग की तैयारी कराई
गई। शैक्षिक सत्र 2009-10 में समाज कल्याण विभाग ने सिविल सर्विसेज की
प्री परीक्षा की तैयारी कराने के लिए अल्मोड़ा, नैनीताल और देहरादून की
आधा दर्जन नामी कोचिंग संस्थाओं का चयन किया। तब तय हुआ था कि प्री
परीक्षा पास होने वाले छात्रों को मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए अलग से
धनराशि दी जाएगी। मगर एक भी छात्र प्री परीक्षा पास नहीं कर पाया। इस
सत्र 70 छात्रों को शामिल किया गया था। चार माह की कोचिंग के लिए प्रति
छात्र 15 हजार रुपये की दर से कोचिंग संस्थानों को 10.50 लाख रुपये का
भुगतान किया गया। इसमें अल्मोड़ा की संस्था संबर्धन, नैनीताल जिले में
दिशा एकेडमी और जीत एकेडमी तथा देहरादून में ब्रिलिएंट, प्रयास और एकलव्य
नामक शामिल थीं। इसके पश्चात विभाग ने सिविल सर्विसेज की परीक्षा की
तैयारी कराने की योजना से हाथ खींच लिया और शैक्षिक सत्र 2010-11 में 40
छात्रों को मेडिकल परीक्षाओं की तैयारी कराई। इसके लिए अल्मोड़ा की संस्था
संबर्द्धन और पिथौरागढ़ की कोचिंग संस्था प्रभाकर स्मृति संस्थान का चयन
किया गया, लेकिन हश्र वही रहा। इससे विभाग की योजना, छात्रों और कोचिंग
संस्थानों के चयन पर सवाल उठाए जाने लगे हैं। फिलहाल समाज कल्याण विभाग
ने समूह ग परीक्षाओं के लिए कोचिंग दिलाना शुरू कर दिया है। इसमें
2011-12 में 297 छात्रों पर 23.19 लाख रुपये खर्च किए गए। इस वर्ष की
परीक्षाओं के अभी परिणाम घोषित नहीं हो पाएं हैं।

देवी ने कहा पेड़ पर चढ़ जाओ...........................


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देहरादून देवी के आदेश पर पेड़ पर चढ़ी मानसिक रूप से
विक्षिप्त महिला ने आज पुलिस एवं दमकल टीम को घंटों तक परेड कराई। बाद
में पुलिस ने समझा बुझा कर महिला को नीचे उतारा और राहत की सांस ली।
बसंत विहार थाना क्षेत्र जीएमएस रोड पर स्थित मंदिर में घटना आज सुबह
लगभग नौ बजे प्रकाश में आई। यहां एक विक्षिप्त महिला पेड़ पर चढ गयी और
उपर से हल्ला मचाने लगी। आसपास के लोगों का ध्यान उसकी तरफ गया तो उसे
नीचे उतारने का प्रयास किया गया लेकिन वह नीचे उतरने को तैयार नहीं हुई।
सूचना मिलने पर पुलिस को सूचना दी गयी। प्रभारी निरीक्षक अरविंद सिंह
रावत फोर्स लेकर मौके पर पहुंचे लेकिन वह फिर भी नीचे उतरने को तैयार
नहीं हुई। दुर्घटना की आशंक पर दमकल को भी बुलाया गया।
काफी मशक्कत के बाद पेड़ पर चढी महिला से जब श्री रावत ने बात की तो उसने
कहा कि क्षेत्र के लोगों ने मंदिर में गंदगी फैला रखी है, मंदिर को शुद्ध
करने की जरूतर है। महिला बार-बार कह रही थी कि उसे देवी मां ने ऐसा करने
को कहा है जिससे कि मंदिर की पवित्रता बनी रहा। श्री रावत ने महिला से
कहा कि वह नीचे उतर कर खुद मंदिर की पूरी सफाई कर दे जिससे मंदिर फिर से
पवित्र हो जाए। बात महिला की समझ में आ गयी और वह नीचे उतरने को तैयार हो
गयी। पुलिसकर्मियों की मदद से महिला को नीचे उतारा गया।
नीचे आने पर पुलिस ने उसे गन्ने का जूस एवं मंदिर का प्रसाद खाने को
दिया। साथ ही मंदिर की सफाई के लिए उसे एक बाल्टी व अन्य सामान दिया गया।
पुलिस का कहना था कि गर्मी के कारण विक्षिप्त महिला ने अपना मानसिक
संतुलन खो दिया था। मनोवैज्ञानिक तरीके से समझाने के बाद महिला मंदिर की
सफाई में जुट गयी और पुलिस ने भी राहत की सांस ली।


सीएम ने की (आर.बी.आई.) के गवर्नर डॉ. डी. सुब्बाराव ने भेंट

देहरादून मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से बुधवार को
सचिवालय में भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) के गवर्नर डॉ. डी. सुब्बाराव
ने भेंट की। भेंट के दौरान मुख्यमंत्री  बहुगुणा ने आर.बी.आई. के गवर्नर
से अपेक्षा की, कि प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए
पर्वतीय क्षेत्रों मंे बैंकिंग गतिविधियों को बढ़ावा दे। इसके लिए बैंक
शाखाएं स्थापित करने के मानकों में शिथिलता बरती जाय। मुख्यमंत्री श्री
बहुगुणा ने कहा कि बैकों को कारपोरेट सोशल रिस्पोंस्बिलिटी के तहत भी
कार्य करते हुए उद्योग, पर्यटन एवं अन्य व्यावसायिक गतिविधियों के माध्यम
से निवेश को बढ़ावा देना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड पर्यटन
प्रदेश है, इसलिए यहां पर पर्यटक स्थलों तक ई-बैकिंग सुविधा उपलब्ध करायी
जानी चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सीमांत क्षेत्रों के
विकास के लिए प्रतिबद्ध है और इसमें बैकों को भी अपना सहयोग देना चाहिए।
सीमांत क्षेत्रों मंे अधिक से अधिक बैंकिंग सेवाएं स्थापित हो, इसके लिए
प्रयास किये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड का अधिकांश भू-भाग
वनाच्छादित है, ऐसे में हमारे ऊपर पर्यावरण व वनों को संरक्षित करते हुए
विकास कार्य जारी रखने का दबाव है। साथ ही प्रदेश में अधिकांश वन क्षेत्र
है, जिससे हमारे विकास कार्य बाधित हो रहे है। मुख्यमंत्री ने कहा कि
बैंकों को किसानों, आम आदमी, युवाओं व अल्पसंख्यक समुदाय के लिए विशेष
योजनाएं शुरू करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य में साक्षरता दर सबसे
अधिक है, इसलिए राज्य की साक्षरता दर को देखते हुए उसी प्रकार की योजनाएं
शुरू की जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में उद्योगों के लिए अनुकूल
वातावरण है और राज्य सरकार राज्य में निवेश करने वाले उद्यमियों को हर
संभव मदद देगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की विषम भौगोलिक
परिस्थितियों को देखते हुए राज्य में स्थापित होने वाले बैकों में मैदान
व पर्वतीय क्षेत्रों में संतुलन बनाया जाय। पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक
से अधिक बैंक शाखाएं स्थापित की जाय।
भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.) के गवर्नर डॉ. डी. सुब्बाराव ने कहा कि
उत्तराखण्ड के विकास में आर.बी.आई. हर संभव मदद देगा। उन्होंने कहा कि
गुरूवार को होने वाली विशेष बैंकर्स समिति की बैठक में राज्य से जुड़े
प्रस्तावों पर भी चर्चा की जायेगी। राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों
को देखते हुए दूरस्थ एवं दुर्गम क्षेत्रों में भी बैंकों की शाखाएं खोलने
के निर्देश दिये जायेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य में नई बैकिंग शाखाएं
खोलते समय राज्य की पर्वतीय व मैदानी क्षेत्रों में संतुलन बनाये रखने पर
ध्यान रखा जायेगा। उन्होंने कहा कि आर.बी.आई. द्वारा क्षेत्रीय कार्यालय
स्थापित किया गया है, जिसे और अधिक मजबूत व सुदृढ़ किया जायेगा। उन्होंने
कहा कि उत्तराखण्ड शिक्षा का हब है, जिसका लाभ राज्य सरकार को उठाना
चाहिए। जनपद स्तर तक शिक्षा गतिविधियों का विस्तार किया जाय। उन्होंने
कहा कि राज्य सरकार को ई-बैकिंग व्यवस्था को प्रभावी ढंग से लागू करना
चाहिए।
वित्त मंत्री डॉ. इन्दिरा हृदयेश ने आर.बी.आई. के गवर्नर डॉ. डी.सुब्बराव
से राज्य में माइक्रोफाइनेस के क्षेत्र में कार्य करने के लिए विशेष
योजनाएं शुरू करने, बिना गारंटी के ऋण उपलब्ध कराने हेतु विशेष प्रयास
करने तथा वर्तमान में प्रति 2000 की आबादी के मानक में शिथिलता प्रदान
करने की प्रभावी पहल की। उन्होंने कहा कि राज्य में 80 प्रतिशत गांव ऐसे
है, जिनकी आबादी 500 है, ऐसे में इन गांवों को बैकिंग सुविधाओं का लाभ
नही मिल पा रहा है। डॉ. हृदयेश ने राज्य में ऋण जमा अनुपात को बढ़ाने तथा
पर्यटन आधारित योजनाओं के लिए अधिक से ऋण संबंधी योजनाएं शुरू करने की
बात कही।
इस अवसर पर राजस्व मंत्री यशपाल आर्य, मुख्य सचिव आलोक कुमार जैन, सचिव
वित्त राधा रतूड़ी, सचिव पर्यटन एस.एस.संधू, आर.बी.आई. के क्षेत्रीय
निदेशक लखनऊ रवि मिश्रा, दिल्ली के चन्दन सिन्हा तथा उत्तराखण्ड के
क्षेत्रीय निदेशक आर.एल.दास आदि उपस्थित थे।