Wednesday, May 23, 2012

..मर जाता तब खुलती साहब की नींद!

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देहरादून। खाकी में चंद अधिकारियों का एक चेहता हेडकांस्टेबल राजधानी में इतना बैखौफ हो रखा है कि उसे हर अपराध माफ है। कितनी बड़ी शर्म की बात है कि जिस हेडकांस्टेबल ने एक युवती के साथ अश्लीलता की और उसकी जांच हुई लेकिन हेडकांस्टेबल का कुछ नहीं बिगड़ा। इसी के चलते वह इतना निडर हो गया कि पैसे वसूलने के लिए वह किसी को भी रास्ते से उठाकर थाने व चैकियों में हैवान की तरह उन्हें पीटने लगा। सवाल उठता है कि हाल में जिस युवक को हेडकांस्टेबल व सिपाही ने कैण्ट कोतवाली के अंदर हैवानों की तरह पीटा, अगर वह थाने में मर जाता तो क्या तक साहब की आंख खुलती, क्योंकि जिस तरह से कैण्ट कोतवाली प्रभारी को इस मामले में क्लीन चिट दी गई, उससे सवाल उठ खड़े हुए है कि जिस कोतवाल की कोतवाली में हैवानियत का नंगा नाच हुआ उस समय आखिरकार कोतवाल कहां सो रहा था? हेडकांस्टेबल की हैवानियत पुलिस कप्तान के सामने आई तो उन्होंने भी हैवान हेडकांस्टेबल व पुलिसकर्मी को लाईन हाजिर कर मामले की जांच उस सीओ के हवाले कर दी जिस पर आरोप है कि वह अक्सर इस हेडकांस्टेबल को बचाने की मुहिम में आगे रहता है।
कैण्ट थाने में चंद दिन पूर्व नींबू वाला निवासी डिंपल को कैण्ट कोतवाली के हेडकांस्टेबल अजय शाह व उसके एक साथी ने हफ्ता न देने पर थाने के अंदर हैवान की तरह पीटा और जब इस मामले में उबाल आया तो हर बार की तरह हेडकांस्टेबल को लाईन हाजिर करने का ड्रामा किया गया। सवाल उठता है कि कुछ समय पूर्व भी यह हेडकांस्टेबल एक व्यक्ति को यातनाएं देने पर लाईन हाजिर हुआ था लेकिन कप्तान का पद संभालते ही मैडम ने हेडकांस्टेबल व लाईन हाजिर हुए पुलिसकर्मियों को बहाल कर उन्हें कुछ भी करने की खुली छुट दे डाली। पुलिस महकमंे में सवाल उठ रहे है कि आखिरकार कुछ अधिकारी क्यों इस हेडकांस्टेबल को पहाड़ी जनपद में तैनात करने से बच रहे है क्योंकि लाईन हाजिर विभाग में एक नौटंकी माना जाता है और चंद समय बाद ही उसे किसी अन्य स्थान पर तैनात कर दिया जाता है। आज इस मामले की शिकायत दिल्ली मानवाधिकार आयोग में भी पीड़ित पक्ष ने कर दी है। यहां यह उल्लेखनीय है कि एक ओर तो पुलिस कप्तान जनता व पुलिस के बीच समनवय कायम करने का दावा कर रही है। वहीं खाकी में कुछ लोग आवाम के साथ हैवानियत कर रहे है।



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