Wednesday, May 23, 2012

मौत का सफर बनती चार धाम यात्रा


नौसिखिए ड्राईवर के सहारे चार धाम यात्रा
देहरादून, चार धाम यात्रा के शुरूआती पड़ाव में ही
यात्रा मार्ग पर यात्रियों की कब्रगाह बनती देवभूमि से पर्यटकों का आना
कम हो सकता है। लगातार बढ़ती जा रही दुर्घटनाओं के कारण यात्रियों की भारी
भीड़ अब देवभूमि के चार धाम यात्रा पर आने से पहले अपनी मौत को लेकर
आशंकित से नजर आ रहे हैं। चार धाम यात्रा पर हर साल लाखों की संख्या में
देश व विदेश के पर्यटकों का हुजूम उमड़ता है, लेकिन यात्रा मार्ग की
सुरक्षा को लेकर जिस तरह से अधिकारियों ने बसों को भारी मात्रा में
ओवरलोड़ करने की परमिशन दे रखी है वह दुर्घटनाओं को दावत देती हुई नजर आ
रही है। चार धाम यात्रा में मंगलवार को हुई बस दुर्घटना ने साबित कर दिया
कि चार धाम यात्रा में आने वाले यात्रि सुरक्षित नहीं है। प्रदेश के
मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने चार धाम यात्रा में आने वाले पर्यटकों को
सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ-साथ सुरक्षा के भी समूचित प्रबंध करने
के निर्देश संबंधित अधिकारियों को ऋषिकेश में चार धाम यात्रा की शुरूआत
के समय दिए थे, लेकिन उन निर्देशों का कोई पालन अधिकारियों द्वारा नहीं
किया गया है। जिस कारण चार धाम यात्रा से लौट रही बस दुर्घटनाग्रस्त होने
के साथ-साथ यात्रा मार्ग की अब तक की सबसे बड़ी दुर्घटना बन गई है।
पर्वतीय क्षेत्रों में बसों के गिरने का सिलसिला जिस तरह से बढ़ता जा रहा
है, उससे यात्रा मार्ग पर जाने वाले पर्यटक भी अब देवभूमि की तरफ कम
संख्या में रूख करते हुए देखे जा सकते हैं। जिस कारण पर्यटन के साथ-साथ
उत्तराखण्ड सरकार को राजस्व की भारी हानि उठानी पड़ सकती है। एक तरफ राज्य
सरकार उत्तराखण्ड के पर्यटक स्थलों को विकसित करने के साथ-साथ राजस्व में
इजाफा करने की बात कह रही है, वहीं दूसरी तरफ यात्रा मार्गों पर सुरक्षा
व्यवस्था पर्यटकों के अनुरूप न होने के चलते पर्वतीय क्षेत्रों में वाहन
दुर्घटनाग्रस्त होते जा रहे हैं। मंगलवार को हुई बस दुर्घटना के क्या
कारण रहे इस बारे में जांच करने के बाद ही तथ्य उभरकर सामने आ सकते हैं,
लेकिन जिस तरह से मैदानी क्षेत्रों में वाहनों को चलाने वाले चालकों को
यात्रा मार्ग पर बिना जांच पड़ताल के भेजा जा रहा है, जिससे इस तरह की
घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। चालक की लापरवाही के कारण या फिर पर्वतीय
क्षेत्रों में अनुभव की कमी के चलते पर्यटक मौत के मुंह में भेजे जा रहे
हैं और इससे राज्य सरकार के साथ-साथ उत्तराखण्ड के पर्यटन पर भी प्रतिकूल
प्रभाव पड़ रहा है यदि समय रहते इस तरह की घटनाओं पर लगाम नहीं लगाई गई तो
वह दिन दूर नहीं जब दूर-दराज से आने वाले पर्यटक उत्तराखण्ड की चार धाम
यात्रा पर आने से कतराते हुए नजर आएंगे। ट्रैवल एजेंसियां भी इस
दुर्घटनाओं में सबसे बड़ा कारण बनकर सामने आ रही हैं और अपनी कमाई के लालच
में अनुभवहीन चालकों को पर्वतीय क्षेत्रों में भेजकर जिस तरह से यात्राएं
पर्यटकों को करवाई जा रही है, वह किसी मौत के सफर से कम नहीं। प्रदेश में
पिछले कई वर्षों में सैकड़ों लोग दुर्घटनाओं के चलते मौत के मंुह में समा
चुके हैं और अधिकतर घटनाएं बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों के कारण ही
घटित होती हुई प्रकाश में आई है।

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