Wednesday, October 31, 2012

मुख्यमंत्री की जल्दबाजी ने उठाए सवाल

देहरादून,  नारायण दत्त तिवारी सरकार के दौरान प्रदेश में स्थापित औद्योगिक क्षेत्रों में लगे उद्योगों को राज्य सरकार प्रदेश में नहीं रोक पाई, ऐसे में मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा द्वारा सितारगंज फेज-2 नाम पर बनाए जा रहे औद्योगिक क्षेत्र को लेकर सरकार पर ही सवाल उठने शुरू हो गए हैं। सरकार पर जहां विपक्ष करारे प्रहार कर रहा है, वहीं बहुगुणा सरकार पर केंद्रीय मंत्री हरीश रावत ने भी सवाल खड़े कर प्रदेश में किए जा रहे औद्योगिकीकरण पर भी सवालिया निशान लगा दिए हैं। इतना ही नहीं राज्य में स्थापित उद्योगों के उद्योगपति भी इस पर मुखर हो गए हैं। उनका कहना है कि अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा राज्य में स्थापित होने वाले उद्योगों को विशेष औद्योगिक पैकेज की तयशुदा सीमा जब कांग्रेस सरकार नहीं बढ़ा पाई तो ऐसे में कौन उद्योगपति यहां उद्योग लगाएगा, यह उनके समझ से परे है। उद्योगपतियों का कहना है कि राज्य में औद्योगिक वातावरण बिलकुल नहीं है, सिंगल विंडो व्यवस्था के तहत उद्योगपतियों को राज्य में सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। अरबों रूपयों उद्योग लगाने में खर्च करने वालों को अनापत्ति प्रमाण पत्र सहित बिजली के संयोजन के लिए अपने जूते घिसने पड रहे हैं, तो ऐसे वातावरण में कौन उद्योगपति राज्य में उद्योग लगाने के लिए आएगा यह उनकी समझ से परे है।
बीते दिन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा द्वारा 45 करोड़ की योजनाओं की नींव सिडकुल फेज-2 के नाम पर सितारगंज में रखी गई। सरकार का दावा है कि यहां 1300 एकड़ भूमि पर उद्योगों को बसाया जाएगा और सिडकुल यहां उद्योगों की स्थापना व अवस्थापना सुविधाएं जुटाने पर 300 करोड़ रूपये खर्च करेगा। सरकार ने उम्मीद जताई है कि इससे 5000 करोड़ रूपया का पूंजीनिवेश होगा और 1000 करोड़ की कमाई सिडकुल की होगी।
सरकार की उम्मीदों के महल पर बन रहे सिडकुल फेज-2 को लेकर सवालिया निशान खड़े होने शुरू हो गए हैं। जहां केंद्रीय राज्य मंत्री हरीश रावत ने सरकार को राज्य में स्थापित औद्योगिक क्षेत्रों को संभालने की बात कही, वहीं राज्य के उद्योगपति भी इससे नाराज हैं।
राज्य में कृषि क्षेत्र की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि राज्य में जहां 65 फीसदी भू-भाग वनाच्छादित है, वहीं मात्र चार से पांच फीसदी भू-भाग ही खेती के लिए बचा हुआ है, ऐसे में जब राज्य के खेती वाली भूमि पर औद्योगिक क्षेत्र बसा दिए जाएंगे तो ऐसे में राज्य में कृषि भूमि खेती के लिए रहेगी ही नहीं। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि राज्य मंे बंजर भूमि अथवा खेती के लिए अनउपयुक्त भूमि पर ही औद्योगिकीकरण किया जाना चाहिए इससे जहां प्रदेश की खेती भी बचेगी, वहीं बेकार भूमि का उपयोग औद्योगिकीकरण के लिए उपयोग में लाया जा सकेगा।
इधर भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट सहित तमाम नेताओं ने प्रदेश के मुख्यमंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा कि आखिर उन्हें राज्य में किसानों को उजाड़कर औद्योगिकीकरण करने की इतनी जल्दी क्यों है? उन्होंने कहा कि राज्य में स्थापित उद्योगों को सबसे पहले सुविधाएं दी जानी चाहिए, जब ये उद्योग पूरी तरह स्थापित हो जाएं तब अन्य उद्योग परिक्षेत्र के बारे में सोचा जाना चाहिए।