Monday, August 12, 2013

मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात कौन है यौन उत्पीड़न का आरोपी अधिकारी।

देहरादून। उत्तराखण्ड में सैक्स स्कैंडल के साथ राजनैतिक नेताओ की परिपाटी भी राजनीति के चष्मे से झलकती हुई दिखी है वहीं इसके चलते राज्य का नाम देष के अन्य राज्यो में भी बदनाम हुआ है इस बदनामी का कारण उत्तराखण्ड के ऐसे राजनेता रहे जिन्होने विकास के पायदानो पर उत्तराखण्ड को आगे बड़ाने का काम किया लेकिन साथ ही सैक्स स्कैंडल जैसे मामलो में उत्तराखण्ड की छवि को भी बदनाम कर डाला जिसके चलते उनका राजनैतिक कैरियर तो चैपट हुआ ही उत्तराखण्ड के राजनेताओ को भी उसी चष्मे से देखा जाने लगा। राज्य में यौन उत्पीड़न के मामले लगातार सामने आते जा रहे ळें और इन मामलो में पुलिस, राजनेता और अब षासनस्तर के अधिकारियो की सन्लिप्तता भी सामने आ गई है जिससे साबित हो गया ळै कि उत्तराखण्ड में ऐसे मामले अब षासन का केन्द्र बिन्दु बनते जा रहे ळैं। उत्तराखण्ड के कई राजनेताओ पर यौन उत्पीड़न के मामले देष की सुर्खियां बनते रहे और कांग्रेस के तिवारी षासनकाल में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को जैनी कांड के चलते मंत्री पद से भी इस्तीफा देना पड़ा लेकिन बाद में मामले का पटाक्षेप होने के बाद हरक सिंह का दामन साफ हो सका लेकिन कई सालो तक हरक सिंह इस कांड के चलते अपना राजनैतिक कैरियर तबाह कर बैठे इसके बाद हैदराबाद में हुए एनडी तिवारी के सैक्स स्कैंडल ने तिवारी को राज्यपाल के पद से विदा कर दिया और राजनैतिक कैरियर भी तिवारी का कांग्रेस में तबाह हो गया तबसे लेकर आज तक तिवारी अपना राजनैतिक कैरियर षुरू नही कर पाए हैं लेकिन अब षासन के अधिकारियो पर सैक्ैस स्कैंडल के आरोप सामने आए हैं और सचिवालय में तैनात समीक्षा अधिकारी के पद पर तैनात एक महिला ने मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात दो अधिकारियो पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाकर खलबली मचा दी है। सचिवालय के भीतर इस तरह की बात आना कोई बड़ी बात नहीं और समय समय पर ऐसी बातें पूर्व में भी उजागर होती रही हैं लेकिन वर्तमान में उत्तराखण्ड सरकार के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के कार्यालय में तैनात इन अधिकारियो पर आरोप लगने के बाद षासन की कार्यवाही तेज हो गई है, खुद मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने इस मामले की षिकायत सामने आने के बाद इसकी जांच के आदेष दिए हैं। महिला उत्पीड़न के मामले पर सुप्रीम र्कोअ के दिषा निर्देष के अनुरूप् राज्य स्तर पर प्रमुख सचिव को इसकी जिम्मेदारी दी गई है और वर्तमान में प्रमुख सचिव राधा रतूड़ी इस मामले की जांच कर रही हैं लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय के अंदर यदि काम करने वाली महिला सुरक्षित नही तो ऐसे में उत्तराखण्ड के अंदर महिलाओ की सुरक्षा कैसी होगी इसका आंकलन भी सरकार को खुद करना होगा। मुख्यमंत्री का कार्यालय ही जब महिलाओ के लिए सुरक्षित नही तो ऐसे में प्रदेष के अंदर मौजूद महिलाओ की स्थिति जिलो और गांवो में किस कदर होगी इसका आंकलन भी राजनैतिक चष्मे से किया जाना बेहद जरूरी है। हमेषा से ही राजनेताओ का दामन यौन उत्पीड़न के मामले पर दागदार होता रहा है लेकिन यह पहला मौका है जब उत्तराखण्ड सरकादके मुख्यमंत्री कार्यालय में यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया है हाला  िकइस मामले में उत्पीड़न का षिकार हुइ महिला ने मुख्यमंत्री को षिकायत की ळै लेकिन अभी तक महिला द्वारा पुलिस को षिकायत ना किए जाने का कारण भी सामने नही आ पाया है। बताया जा रहा है कि जिस अधिकारी पर उत्पीड़ का आरोप लगा है उसमे से एक अधिकारी जून माह में रिटायर हो गया है जबकि एक अन्य अभी भी मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात है। सूत्रो से मिली जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री के कार्यालय में तैनात एक बड़े अधिकारी का नाम भी इस मामले में सामने आ रहा हैलेकिन उसे बचाने की हर सम्भव कोषिष की जा रही ळै क्योकि इस अधिकारी के आधीन आने वाले एक विभाग में महिलाओ की तैनाती सबसे ज्यादा की गई है जिसकी जांच की जानी भी बेहद जरूरी है वहीं इस अधिकारी के बारे में आम चर्चा है कि इसका चरित्र हमेषा से ही चर्चित रहा है।

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