Monday, January 16, 2012

भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड एक बार फिर मुख्यमंत्री खंडूरी के नेतृत्व मै चुनाव लड़ रही है ये वही खंडूरी हैं जो बीरोंखाल से भागकर कोटद्वार से चुनाव लड़ रहे हैं, आखिर वहाँ की जनता पूछ रही है की हमे दो राहे पैर क्यों छोड़ा आपने, क्या हमारा ये दोष था की जिसे आपने कहा हमने उसे वोट दिया , क्या आप चोबत्ताखाल से क्यों नही चुनाव लड़े ,हम तो यहीं है आप भाग लिए हमे हमारी किस्मत के भरोसे छोडकर, अब कोटद्वार वाले आप पर क्यों भरोसा करे कही आप कुर्सी देखकर उन्हें भी न छोड दें

चुनाव आयोग को ध्त्ता बनाते मीडिया मैनेजर

देहरादून, । 2012 के मिशन को पफतह करने के लिये दिल्ली की चकाचैंध् से उत्तराखण्ड पहुंचे भाजपा व कांग्रेस के मीडिया मैनेजर पांच सितारा होटलों में बैठकर अपने आकाओं को जीत-हार का गणित बताते हुए नजर आ रहे हैं। बंद कमरों में की जा रही इस चुनावी चाल में मीडिया मैनेजरों की बातें कितनी सटीक हैं  इसका आंकलन तो 30 जनवरी को उत्तराखण्ड में होने वाले मतदान के बाद ही जनता का जनादेश मिलने के बाद ही पता चल पाएगा लेकिन इन पांच सितारा होटलों में बैठकर जिस तरह से मीडिया मैनेजर पार्टियों के पैसों को भारी मात्रा में खर्च कर रहे हैं उस पर चुनाव आयोग की नजरें इनायत क्यों नहीं हो रही।  उत्तराखण्ड में एक प्रत्याशी 11 लाख  रूपये की  ध्नराशि ही चुनावी खर्च में खर्च कर सकता है लेकिन चुनाव आयोग रोजाना होने वाली इन बैठकों पर ध्यान  देता हुआ नजर नहीं आ रहा। रोजाना राजनैतिक दलों के मीडिया मैनेजर पार्टी पफंड से हजारों रूपये पानी की तरह बहा रहे हैं और यह सिलसिला पिछले एक सप्ताह से भी अध्कि समय होने के चलते लगातार जारी है। दिल्ली से कांग्रस के एक मीडिया मैनेजर इन दिनों राजधनी के एक बड़े होटल में बैठकर अपने आकाओं को जीत-हार का गणित जिस तरह से कुछ चाटुकार मीडिया लोगों के माध्यम से कराने में लगे हैं उनमें कितनी हकीकत है  इसका आंकलन करना बेहद मुश्किल भरा काम है। चुनाव आयोग एक तरपफ प्रत्याशियों के हर कार्यक्रम व चुनावी खर्च की नजर मजबूती के साथ रख रहा है। लेकिन बंद कमरों में रोजाना होने वाली इन दावतों का जिक्र न तो राजनैतिक अपने  चुनावी खर्च में करते हुए देखे जा रहे हैं और न ही चुनाव आयोग इन  पर रोक लगाने की कार्रवाई करता हुआ नजर आ  रहा है। रोजाना किये जा रहे इस हजारों रूपये के ध्न का हिसाब चुनाव आयोग किस राजनैतिक दल से लेगा इसको लेकर भी उंगलियां उठनी शुरू हो गई है।  राजनैतिक गलियारों में चर्चा आम हो गई है कि एक तरपफ तो चुनाव आयोग राज्य में बाहर से आने वाले काले ध्न पर लगातार अपना शिकंजा कसता जा रहा है वहीं दूसरी तरपफ इस तरह की होने वाली दावतों पर कोई रोक नहीं लगाई जा रही। जिससे लोकतंत्रा में निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न हो इसे लेकर शंसय के बादल मंडराते दिख रहे हैं। माना जा रहा है कि इस तरह के घटना क्रम पर यदि शीघ्र ही  रोक नहीं लगाई गई तो इसके खतरनाक परिणाम भी सामने आ सकते हैं।  सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राजपुर रोड, सुभाष रोड, त्यागी रोड, हरिद्वार रोड, चकराता रोड के साथ-साथ कई अन्य स्थानों पर भी रोजाना होटलों के बंद कमरों में दावतों का जोर लगातार जारी है लेकिन इन स्थानों की जानकारी निर्वाचन आयोग को लगती हुई नजर नहीं आ रही। इन होटलों में रूकने वाले लोगों की पहचान अगर की जाए तो कई राजनैतिक चेहरों के साथ-साथ कई बड़े लोग बेपर्दा हो सकते हैं।

Wednesday, January 4, 2012

सभी पार्टियों में बगावती तेवर दिखा रहे हैं नेता


देहरादून  राजनीति में पार्टी के प्रति निष्ठा कोई मायने नहीं रखती, थोड़ी सी उपेक्षा क्या हुई, बड़े से बड़े नेता भी बगावत का झंडा थाम लेते हैं। कुछ यही हाल आजकल उत्तराखंड की राजनीति में भी आया हुआ है। वह चाहे कांग्रेसी दिग्गज नारायण दत्त तिवारी हों या फिर टिकट कटने से आहत भाजपाई, जगह-जगह बगावत के झंडे दिखाई दे रहे हैं। कोई समर्थकों के दबाव की बात कह रहा है तो कुछ ने पार्टी से इस्तीफा ही दे दिया है।
सभी पार्टियों में बगावती तेवर दिखा रहे हैं नेता
शुरुआत टिकट से वंचित रह गए भाजपा नेताओं से। जिन नेताओं को टिकट नहीं मिला है, वो बगावत की राह में निकल चुके हैं। कुछ दावेदार चुपचाप दोबारा से सेटिंग करने में जुट गए हैं, लेकिन कुछ ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया है। कैबिनेट मंत्री खजानदास को उम्मीद थी कि पार्टी उन्हें राजपुर रोड से चुनावी मैदान में उतारेगी लेकिन उनका तो पत्ता ही साफ हो गया। अब वह इससे काफी आहत हैं और खुलकर बोल भी रहे हैं। उन्होंने इसे साजिस कहा है। वह इस मामले में मुख्यमंत्री बीसी खंडूरी, पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी, प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल से मिलकर अपना विरोध दर्ज कराएंगे। इसी मुद्दे पर उनके समर्थकों ने प्रदेश मुख्यालय पर हंगामा भी किया।
इसी तरह कर्णप्रयाग के विधायक अनिल नौटियाल, सहसपुर विधायक राजकुमार, कोटद्वार विधायक शैलेंद्र सिंह रावत के समर्थकों ने खुलेआम पार्टी के निर्णय के विरोध में प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है। इन सभी ने भी बगावती तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। दिवाकर भट्ट को पार्टी सिंबल से लड़ाने का विरोध हो रहा है। उधर अल्मोड़ा में जिलाध्यक्ष समेत 216 पदाधिकारियों ने अपना सामूहिक इस्तीफा पार्टी को भेज दिया है। बागेश्वर व कपकोट में भी विरोध के स्वर सुनाई दे रहे हैं। जिन सीटों पर प्रत्याशी घोषित नहीं हुए हैं, वहां भी दावेदार आशंकित हैं और सभी परिस्थितियों की तैयारी कर रहे हैं।
दूसरी तरफ कांग्रेस में सूची जारी होने से पहले ही मुश्किल खड़ी हो गई है। तिवारी समर्थकों ने निरंतर विकास समिति के बैनर तले पूरे प्रदेश में सभी 70 सीटों में चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। अब कांग्रेस एनडी तिवारी को समझाने-बुझाने में जुट गई है। प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद कांग्रेस में भी कई बगावती नेता दिखाई दे सकते हैं।

सोनिया गांधी का हल्द्वानी दौरा रद्द


हल्द्वानीसोनिया गांधी का हल्द्वानी दौरा रद्द हो गया है। कोहरे की वजह से वह रैली में शामिल नहीं हो सकी। यह दूसरी बार है जब सोनिया गांधी का उत्तराखंड दौरा रद्द हुआ है। पिछली बार वह गौचर की रैली में शामिल नहीं हो सकी थी। उस समय उनके स्वास्थ्य की वजह से वह दौरा नहीं हो सका था, इस बार मौसम ने बीच में अड़चन पैदा कर दी।सोनिया गांधी की रैली पहले रुद्रपुर में होनी थी, बाद में इसे हल्द्वानी शिफ्ट कर दिया गया था। कांग्रेसी नेताओं ने इसके लिए काफी तैयारी भी की थी और अच्छी खासी भीड़ रैली में जुटा भी ली थी। लेकिन अंतिम समय में कोहरे की वजह से यह दौरा रद्द करना पड़ा। माना जा रहा था कि रैली के सफल आयोजन के बाद ही उत्तराखंड विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस की सूची जारी की जाएगी। अब देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस की सूची कब तक जारी होगी।

डॉन से मिलने पहुंचा नेता कौन!

डॉन से मिलने पहुंचा नेता कौन! हल्द्वानी। हल्द्वानी जेल में अंडरवर्ल्ड डॉन प्रकाश पांडे उर्फ पीपी से मिलने यूकेडी नेता के पहुंचने से पुलिस में खलबली मची है। हालांकि परमीशन नहीं होने से जेल प्रशासन ने यूकेडी नेता को पीपी से मिलने नहीं दिया। पुलिस यूकेडी नेता कहां का है, इसकी खोजबीन में जुट गई है। सुरक्षा की दृष्टि से पीपी को एकांत वार्ड में कड़ी निगरानी के बीच रखा गया है।हल्द्वानी कोर्ट के आदेश पर 24 दिसंबर को डॉन प्रकाश पांडे को हल्द्वानी जेल में शिफ्ट किया गया। इससे पहले पीपी तिहाड़ जेल में बंद था। पीपी को चार जनवरी को फिर से हल्द्वानी कोर्ट में पेश करने की वजह से यहां की जेल में रखा गया है। हालांकि हल्द्वानी की उप कारागार असुविधाओं से जूझ रही है। जेल में सुरक्षा व्यवस्था भी राम भरोसे है। उसके बावजूद पीपी को यहां रखा गया है। पीपी के जेल में शिफ्ट होने से जेल प्रशासन सुरक्षा को लेकर खासा चिंतित है। सुरक्षा की दृष्टि से जेल प्रशासन ने पीपी को एकांत वार्ड में रखा है। वार्ड की निगरानी के लिए कई बंदी रक्षकों को लगाया गया है। बुधवार को एक यूकेडी नेता पीपी से मिलने के लिए जेल पहुंचा। इस दौरान जेल प्रशासन ने बिना परमीशन के मिलने की इजाजत नहीं है का हवाला देकर उसे लौटा दिया, मगर जेल में पीपी से मिलने एक नेता के पहुंचने से पुलिस में खलबली मची है। चुनाव सिर पर है। नेता पीपी से क्यों मिलना चाहता था, यूकेडी नेता कहां का है, पुलिस ने ऐसे सवालों की खोजबीन शुरू कर दी है। जेल में किसी कैदी से मिलने के लिए उसे सिटी मजिस्ट्रेट से परमीशन लेकर आना पड़ता है, मगर यूकेडी नेता अनुमति लिए बिना पीपी से मिलने जेल तक पहुंच गया।