Saturday, July 21, 2012

डैमेज कंट्रोल की कोशिशें आखिरकार चौथे दिन सुबह रंग लाई

देहरादून
पौड़ी जिले के डीएम को हटाने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और श्रीनगर क्षेत्र के विधायक गणेश गोदियाल के बीच कहासुनी से उपजे सियासी विवाद का शनिवार को नाटकीय ढंग से पटाक्षेप हो गया। मुख्यमंत्री ने विधायक से दूरभाष पर संपर्क साधा तो कुछ देर की बातचीत में दोनों पक्षों ने गिले-शिकवे दूर किए। चार दिनों तक खींचतान के बाद मामला शांत होने पर मुख्यमंत्री के साथ ही पार्टी भी राहत महसूस कर रही है। उधर, पार्टी का एक खेमा अब भी विधायकों पर नौकरशाहों को तरजीह देने के मामले पर मुखर है। हाईकमान के तेवर देखते हुए इस गुट ने फिलहाल आग में दबी चिंगारी की तरह चुप्पी ओढ़ रखी है।
मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ दल के ही विधायक के बीच कहासुनी से उपजे विवाद के तूल पकड़ने से पार्टी असहज महसूस कर रही थी। पार्टी हाईकमान, वरिष्ठ नेताओं और संगठन के हस्तक्षेप से बने दबाव के चलते दोनों ही पक्षों को ठंडा रुख अपनाने को मजबूर कर दिया। बीती बुधवार को सीएम आवास पर सत्तापक्ष के विधायकों की बैठक में पौड़ी जिले के जिलाधिकारी के रवैये से नाराज विधायक गोदियाल ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से की। विधायक के लहजे पर मुख्यमंत्री के भड़कने से यह मामला तूल पकड़ गया था। इससे सरकार की छवि पर पड़ रहे असर के मद्देनजर पार्टी हाईकमान ने भी मामले को जल्द शांत करने की हिदायत दी। तीन दिन से डैमेज कंट्रोल की कोशिशें आखिरकार चौथे दिन सुबह रंग लाई। बीते गुरुवार को राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए मतदान के दिन से ही इस प्रकरण में में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे काबीना मंत्री हरक सिंह रावत शनिवार सुबह करीब नौ बजे मुख्यमंत्री आवास पहुंचे। उन्होंने विधायक की नाराजगी दूर करने के लिए मुख्यमंत्री से वार्ता की पहल का सुझाव दिया। इसके बाद काबीना मंत्री रावत की मौजूदगी में ही मुख्यमंत्री बहुगुणा ने दूरभाष विधायक गोदियाल से वार्ता की। कुछ देर बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने गिले-शिकवे दूर किए। संपर्क करने पर हरक सिंह रावत ने इसकी पुष्टि की। उधर, पार्टी सूत्रों के मुताबिक गोदियाल प्रकरण पर अन्य कई विधायक अब भी मुखर हैं। उनकी मंशा है कि सरकार के मुखिया की ओर से नौकरशाहों पर सख्ती से अंकुश लगाने के संकेत दिए जाने चाहिए। इस गुट में गोदियाल को भी शामिल बताया जा रहा है।

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