Sunday, October 13, 2013

मीडिया की दुर्दषा पर आंसू बहाता उत्तराखण्ड का खंडर में तब्दील प्रैस क्लब।

देहरादून। पत्रकारिता का चैथा स्तम्भ दूसरो को आइना दिखाने की कोषिष लेकिन खुद आपसी लड़ाई के चलते वर्शो से खन्डर में तब्दील प्रैस क्लब की दुर्दषा बयां कर रही है कि मीडिया की हकीकत किसी से छुपी नहीं। दूसरो को आइना दिखाने की नसीहत देने वालो को खुद खन्डर में तब्दील हो चुका देहरादून का उत्तरांचल प्रैस क्लब अपनी कहानी खुद ही बयां कर रहा है। देषभर के विभिन्न राज्यो में प्रैस क्लब मीडिया के लिए जहां सषक्त माध्यम होता है वहीं सुख दुख की बातो का आदान प्रदान भी इसी प्रैस क्लब के माध्यम से अपनी भूमिका निभाकर पत्रकारो के बीच सेतु का काम करता है लेकिन उत्तराखण्ड के देहरादून में स्थित प्रैस क्लब को वर्चस्व की लड़ाई ने खन्डर में तब्दील कर दिया है और देष का पहला प्रैस क्बल देहरादून में मौजूद है जो खन्डर में तब्दील होता दिख रहा है। षायद ही देष के किसी अन्य राज्य में प्रैस क्लब विवादित होने के बाद बन्द हुआ हो। इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि जिस प्रैस क्लब में रोजाना सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक गतिविधियो के साथ पत्रकारो की आवाज को बुलन्द करने की सषक्त पहल की गई थी आज वो खुद अपनी बर्बादी पर खन्डर के रूप में मौजूद होकर अपनी कहानी को बयां कर रहा है। पत्रकारो के देहरादून में एकमात्र प्रैस क्लब की दुर्दषा के लिए कौन जिम्मेदार हैं इसका आत्म मंथन उन्हें स्वयं करना होगा जो पत्रकारिता को एक मिसाल के तौर पर कायम कर अपना सिक्का षासन प्रषासन में होने का डंका बजाते हैं लेकिन उनका यह डंका उन्ही के प्रैस क्लब ना खुल पाने पर हकीकत को भी बयां कर देता है और मीडिया की कुंद होती धार को हकीकत के रूप् में सामने ला देता है। उत्तरांचल प्रैस क्लब परेड के पास स्थित उस समय विवादित हो गया था जब प्रैस क्लब के तत्कालीन अध्यक्ष योगेष भट्ट के खिलाफ समूचे बोर्ड ने मोर्चा खोल दिया था जिसके बाद पत्रकारो की कई यूनियनो के नेताओ ने इस मामले को सुलह कराने के कई प्रयास किए लेकिन मामला कोर्ट में चले जाने के कारण प्रषासन को मजबूरन अपनी सरकारी सील प्रैस क्लब में लगाने पर मजबूर होना पड़ा जिसके बाद से प्रैस क्लब सरकारी सील में ही अपनी विरासत को जो वहां मेहनत से जोड़ी गई थी दम तोड़ता नजर आया लेकिन किसी भी पत्रकारो के संगठन ने प्रैस क्लब को खुलवाने के कलिए अपनी कोषिष जारी नही रखी, षायद यहां भी अहम की लड़ाई आड़े आई और दूसरो के सामने षेख चिल्ली बनने वाले पत्रकारो की जमात के नेता प्रैस क्लब को खुलवाने के लिए अपनी ताकत का एहसास कराने में नाकामयाब साबित हुए जिसका नतीजा यह रहा कि कई सालो से बंद पड़ा प्रैस क्लब अपनी विरासत को दीमक की तरह चट करता नजर आया और यहां स्थापित स्व0 हेमवती नंदन बहुगुणा का पुस्तकालय भी पूरी तरह खंडर में तब्दील हो गया और प्रैस क्लब की एकमात्र कैन्टीन जो उज्जवल रैस्टोरैन्ट के नाम से स्थापित थी उस पर भी कब्जा जमा लिया गया जो आज तक बरकरार है। प्रैस क्लब में पत्रकारो की आपसी लड़ाई का फज्ञयदा षासन प्रषासन के अधिकारियो ने भी जमकर उठाया और इसीलिए प्रैस क्लब को खोले जाने के प्रयास अधिकारियो की तरफ से भी नही किए गए। अब चर्चा एक बार फिर षुरू हुई है कि प्रैस क्लब को खुलवाया जाना चाहिए। इसके लिए बकायदा पत्रकारो के सभी संगठन बंद हुए प्रैस क्लब को खुलवाने के लिए हामी भरते नजर आ रहे हैं और बीते दिनो प्रैस क्लब को खुलवाने की मुहिम पत्रकारो के एक यूनियन के नेताओ ने भी षुरू की जिसके सकारात्मक प्रषस प्रभावी रहे तो जल्द ही खंडर में तब्दील हो चुका प्रैस क्लब फिर से गुलजार नजर आएगा। बताया जा रहा प्रैस क्लब की इस बेषकीमती जमीन पर सरकार की नजर भी लगातार बनी हुई है और इस जगह पर काॅम्प्लैक्स बनाने की रणनीति को भी अंजाम दिया जा रहा है। समय रहते यदि पत्रकारो के संगठनो ने खंडर में तब्दील हो चुके प्रैस क्लब को नहीं खुलवाया तो उनके हाथ से प्रैस क्लब की जमीन भी जाती हुई दिख जाएगी।

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